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व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशाएं संहिता, 2020 (OSHWC) {THE OCCUPATIONAL SAFETY, HEALTH, AND WORKING CONDITIONS CODE, 2020 (OSHWC)}

23 Dec 2025
1 min

इस संहिता के तहत कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य दशाओं में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए 13 केंद्रीय कानूनों को समाहित किया गया है।

  • उद्देश्य: श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा और सुरक्षित कार्य दशाओं का निर्माण करने के साथ व्यवसाय के अनुकूल नियामक परिवेश तैयार करने के दोहरे उद्देश्यों को संतुलित करना।

प्रमुख प्रावधान:

  • एकीकृत पंजीकरण: इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण के लिए 10 कर्मचारियों की एक समान सीमा निर्धारित की गई है।
  • खतरनाक कार्यों तक विस्तार: सरकार खतरनाक या जीवन के लिए जोखिम वाले व्यवसायों में संलग्न किसी भी प्रतिष्ठान (भले ही उसमें केवल एक कर्मचारी हो) तक संहिता के प्रावधानों का विस्तार कर सकती है।
  • प्रवासी श्रमिकों की व्यापक परिभाषा: अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों (ISMW) की परिभाषा में अब प्रत्यक्ष रूप से नियोजित, ठेकेदारों के माध्यम से नियोजित, या स्वयं प्रवास करने वाले श्रमिकों को शामिल किया गया है।
  • महिलाओं को रोजगार: महिलाएं सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों में तथा उनकी सहमति एवं सुरक्षा उपायों के साथ रात के घंटों (सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद) के दौरान काम कर सकती हैं।
  • राष्ट्रीय व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सलाहकार बोर्ड: विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा और स्वास्थ्य मानक निर्धारित करने के लिए एक एकल त्रिपक्षीय सलाहकार बोर्ड छह पूर्ववर्ती बोर्डों को प्रतिस्थापित करेगा। इससे एकरूपता और गुणवत्ता सुनिश्चित होगी।
  • संस्थागत निरीक्षण:
    • सुरक्षा समिति: 500+ श्रमिकों वाले कारखानों, 250+ श्रमिकों वाली निर्माण इकाइयों और 100+ श्रमिकों वाली खानों में नियोक्ता और श्रमिक प्रतिनिधियों के साथ सुरक्षा समिति का गठन किया जाएगा।
    • कल्याण अधिकारी: उन इकाइयों में एक कल्याण अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जहां सामान्यतः 250 या अधिक श्रमिक नियोजित हैं।
  • अनुबंध श्रम: नियम उन ठेकेदारों पर लागू होते हैं जिनके पास 50+ श्रमिक (पहले 20) हैं। साथ ही, नियोक्ताओं को स्वच्छता जैसी परिभाषित मुख्य गतिविधियों में भी शर्तों के अधीन अनुबंध श्रम लगाने की अनुमति है।

गुण (Merits)

दोष (Demerits)

श्रमिकों के अधिकारों को सुदृढ़ता: उदाहरण के लिए, काम के घंटे दिन में अधिकतम 8 घंटे और सप्ताह में 48 घंटे निर्धारित किए गए हैं।

पारदर्शिता और जवाबदेही: सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य है और यह ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा।

महिला श्रम बल भागीदारी को बढ़ावा: महिलाओं को उनकी सहमति और अनिवार्य सुरक्षा प्रोटोकॉल के अधीन नाइट शिफ्ट सहित सभी प्रकार की इकाइयों में काम करने की अनुमति दी गई है।

सीमित कवरेज: फैक्ट्री लाइसेंस के लिए श्रमिकों की सीमा बढ़ाई गई है। यह सीमा बिजली के साथ 10 से 20 श्रमिक और बिना बिजली के 40 श्रमिक की गई है। इसके कारण अनेक छोटी इकाइयां सुरक्षा अनुपालन आवश्यकताओं से बाहर हो सकती हैं।

निरीक्षण में कमी: नियोक्ताओं द्वारा स्व-प्रमाणन की व्यवस्था की गई है। इससे उल्लंघन की रिपोर्टिंग कम होने और सुरक्षा मानकों के अपर्याप्त प्रवर्तन का जोखिम है।

निष्कर्ष 

नई श्रम संहिताएं श्रमिक कल्याण और व्यावसायिक दक्षता के बीच संतुलन बनाकर भारत की श्रम प्रणाली में एक बड़े सुधार का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये अधिक पारदर्शी और विकासोन्मुखी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए अनुपालन को सरल बनाती हैं, सुरक्षा में सुधार करती हैं और उचित मजदूरी सुनिश्चित करती हैं।

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