दुर्लभ मृदा खनिजों और चुम्बकों के लिए भारत की योजना
भारत सरकार देश में दुर्लभ मृदा खनिजों और व्युत्पन्न उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 3,500-5,000 करोड़ रुपये की एक महत्वपूर्ण योजना को अंतिम रूप दे रही है। इस पहल को एक पखवाड़े के भीतर मंजूरी मिल जाएगी।
उद्देश्य और प्रोत्साहन तंत्र
- इसका प्राथमिक उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों का घरेलू उत्पादन शीघ्रता से प्रारम्भ करना है।
- इसे रिवर्स नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
विविधीकरण की आवश्यकता
- आंतरिक मंत्रिस्तरीय समीक्षा में चीन के आयात पर भारी निर्भरता के कारण विविधीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
- कम से कम पांच प्रमुख घरेलू कंपनियों ने सरकार के साथ परामर्श के बाद इन खनिजों के उत्पादन में रुचि दिखाई है।
चीन का प्रभुत्व और निर्यात प्रतिबंध
- चीन दुर्लभ मृदा तत्वों की वैश्विक आपूर्ति पर लगभग एकाधिकार रखता है तथा उसने निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखे हैं।
- चीन द्वारा निर्यात प्रतिबंधों ने उद्योगों, विशेषकर ऑटोमोबाइल क्षेत्रक पर काफी प्रभाव डाला है, जिसके कारण सरकार से कार्रवाई की मांग उठ रही है।
मांग और भविष्य की संभावनाएं
- इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) और पवन टरबाइन निर्माता भारत में दुर्लभ मृदा तत्वों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं, जो 2025 के लिए अनुमानित 4010 मीट्रिक टन घरेलू मांग के आधे से अधिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- अनुमान है कि 2030 तक कुल मांग दोगुने से भी अधिक होकर 8220 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगी।
विनियामक और उत्पादन विकास
- सरकार इस महत्वपूर्ण खनिज मिशन को समर्थन देने के लिए खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हैदराबाद स्थित मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स प्राइवेट लिमिटेड के लिए धनराशि आवंटित की है, जिससे इस वर्ष के अंत में दुर्लभ मृदा तत्वों का घरेलू उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।