आयकर विधेयक 2025 की संसदीय प्रवर समिति की समीक्षा
संसदीय प्रवर समिति ने नए आयकर विधेयक 2025 में महत्वपूर्ण संशोधनों का प्रस्ताव दिया है।
प्रमुख सिफारिशें
- लाभकारी स्वामी परिभाषा: कराधान वर्ष के दौरान शेयरों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ उठाने वाले व्यक्तियों को शामिल करने के लिए इसे विस्तृत किया गया है, जिससे उन्हें घाटे को आगे ले जाने की अनुमति मिलती है।
- अंतर-कॉर्पोरेट लाभांश: इन लाभांशों के लिए कटौती की बहाली, जो मसौदे में अनुपस्थित थी।
- मानक कटौती: नगरपालिका करों की कटौती के बाद 30% की कटौती।
- निर्माण-पूर्व ब्याज कटौती: किराये पर दी गई संपत्तियों को भी इसमें शामिल किया गया है।
- करदाता राहत:
- 'शून्य' कर कटौती प्रमाण-पत्र के लिए सिफारिश।
- अधिकारियों को गैर-जानबूझकर अनुपालन न करने पर दंड माफ करने का अधिक विवेकाधिकार।
- छोटे करदाताओं के लिए देरी से कर रिटर्न दाखिल करने पर रिफंड की अनुमति।
- गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए): बैंकिंग और कर कानूनों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए स्पष्ट परिभाषा की मांग की गई है।
- 'मूल कंपनी' की परिभाषा: पूंजीगत लाभ खंडों में अंतराल को दूर करने के लिए स्पष्ट परिभाषाओं का अनुरोध किया जाता है।
- गैर-लाभकारी संगठन:
- धार्मिक-सह-धर्मार्थ ट्रस्टों को गुमनाम दान के लिए छूट बनाए रखने के प्रावधान।
- एक आत्मनिर्भर संहिता को बढ़ावा देने के लिए 1961 अधिनियम के अवशिष्ट संदर्भों को समाप्त करना।
अपेक्षित परिणाम
प्रस्तावित परिवर्तनों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, विवादों को कम करना तथा एक कुशल कर प्रणाली स्थापित करने के सरकार के उद्देश्य के साथ संरेखित करना है।