भारत-UK मुक्त व्यापार समझौता और लोक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ
24 जुलाई, 2025 को भारत-UK मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए गए। यह दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन साबित होगा। इस समझौते को आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता कहा जाता है। इसको भारतीय केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 जुलाई, 2025 को मंजूरी दी थी। हालाँकि, यह FTA दोनों देशों के लिए आर्थिक लाभ का वादा करता है, लेकिन यह भारत के लिए महत्वपूर्ण लोक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ भी पैदा करता है।
संभावित लोक स्वास्थ्य चुनौतियाँ
- FTA, बिस्कुट, चॉकलेट और शीतल पेय जैसे UK निर्मित खाद्य उत्पादों को भारत में टैरिफ मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है।
- इनमें से कई उत्पाद उच्च वसा, चीनी और नमक (HFSS) खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आते हैं, जिससे आहार संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
- आक्रामक मार्केटिंग के कारण ऐसे उत्पादों की खपत में वृद्धि से लोक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और भी बदतर हो सकती हैं।
NAFTA से सबक
उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) के साथ मेक्सिको का अनुभव एक चेतावनी की कहानी है:
- NAFTA के बाद, मेक्सिको में शर्करायुक्त पेय और स्नैक्स के आयात में तीव्र वृद्धि देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप मोटापे और मधुमेह में वृद्धि हुई।
- स्थिति में सुधार तब हुआ जब मेक्सिको ने 2014 में 'सोडा टैक्स' और अनिवार्य स्वास्थ्य चेतावनी लेबल जैसे नियामक उपाय लागू किये।
नियामक ढाँचे: भारत बनाम UK
- UK में HFSS उत्पादों के विज्ञापन पर कड़े नियम हैं, जिनमें टीवी पर रात 9 बजे से पहले प्रतिबंध और 1 अक्टूबर, 2025 से ऑनलाइन पूर्ण प्रतिबंध शामिल है।
- UK में उपभोक्ताओं को पोषण संबंधी सामग्री के बारे में जानकारी देने के लिए ट्रैफिक लाइट फ्रंट-ऑफ-पैक न्यूट्रीशन लेबलिंग (FOPNL) प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
- भारत का नियामक ढांचा मजबूत नहीं है तथा उद्योग स्व-नियमन पर निर्भर है, जो प्रायः अप्रभावी होता है।
नियामक अंतरालों का समाधान करना
- भारत में बच्चों को लक्षित जंक फूड के विज्ञापनों पर बाध्यकारी प्रतिबंधों का अभाव है।
- प्रभावी चेतावनी लेबल लागू करने के प्रयास आंशिक रूप से उद्योग जगत की पैरवी के कारण रुके हुए हैं।
भारत में जीवनशैली संबंधी बीमारियों का उदय
- भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) और HFSS वस्तुओं की खपत 2011-21 तक 13.3% की सीएजीआर से बढ़ी।
- मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का प्रचलन सभी आयु वर्गों में बढ़ रहा है।
आगे की राह
FTA के प्रतिकूल लोक स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के लिए:
- भारत को HFSS उत्पादों के विज्ञापन को विनियमित करने के लिए कड़े उपाय लागू करने चाहिए।
- स्पष्ट चेतावनी लेबल के साथ अनिवार्य FOPNL महत्वपूर्ण हैं।
- स्कूलों को पैकेज्ड और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की बिक्री बंद कर देनी चाहिए।
भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार समझौते जैसे संभावित मुक्त व्यापार समझौतों के मद्देनज़र, भारत को लोक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सुरक्षात्मक उपाय लागू करने होंगे। लोक स्वास्थ्य पेशेवरों और नीति निर्माताओं को अति-प्रसंस्कृत और उच्च-रक्तचाप वाले खाद्य पदार्थों के स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों को दूर करने के लिए व्यापार समझौतों से संबंधित चर्चाओं में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए।