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उत्पादकता वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए औपचारिकता अपनाई जानी चाहिए | Current Affairs | Vision IAS

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उत्पादकता वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए औपचारिकता अपनाई जानी चाहिए

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भारत के विनिर्माण क्षेत्र में कांट्रैक्ट लेबर के रुझान 

भारत के औपचारिक विनिर्माण क्षेत्र में हाल के दशकों में रोजगार संरचना में काफी बदलाव आया है तथा कांट्रैक्ट लेबर का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है।

मुख्य निष्कर्ष 

  • विनिर्माण क्षेत्र में कांट्रैक्ट लेबर्स की हिस्सेदारी 1999-2000 के 20% से बढ़कर 2022-23 में 40.7% हो गई है।
  • यद्यपि कांट्रैक्ट का उद्देश्य लचीलापन है, लेकिन अक्सर यह लागत से बचने के लिए होता है, न कि वास्तविक लचीलेपन या कौशल तक पहुंच के लिए।
  • कांट्रैक्ट लेबर्स को मुख्य श्रम कानूनों से बाहर रखा गया है, जिससे उनकी सौदेबाजी की शक्ति कमजोर हो गई है और वे शोषण के प्रति संवेदनशील हो गए हैं।
  • 2018-19 में, कांट्रैक्ट लेबर्स ने नियमित श्रमिकों की तुलना में 14.47% कम कमाया, बड़े उद्यमों में असमानताएं अधिक स्पष्ट (31%) थीं।
  • नियोक्ताओं के लिए कांट्रैक्ट लेबर्स की दैनिक श्रम लागत नियमित श्रमिकों की तुलना में 24% कम थी।

उत्पादकता पर प्रभाव 

  • नियमित श्रम-प्रधान (RLI) उद्यमों की तुलना में कांट्रैक्ट श्रम-प्रधान (CLI) उद्यमों की श्रम उत्पादकता 31% कम है। 
  • वहीं, छोटे उद्यमों (<100 श्रमिक) में उत्पादकता का यह अंतर 36% है। 
  • उच्च-कौशल वाले CLI उद्यमों को निम्न-कौशल वाले समकक्षों की तुलना में 5% से 20% तक उत्पादकता लाभ होता है।  
  • बड़े पूंजी-प्रधान CLI उद्यमों में श्रम उत्पादकता में 17% की वृद्धि देखी गई। 

नीतिगत सिफारिशें 

  • 2020 श्रम संहिता का उद्देश्य अधिक भर्ती लचीलापन प्रदान करना है, लेकिन नौकरी की गुणवत्ता में संभावित गिरावट के लिए इसकी आलोचना भी हो रही है।
  • लंबी अवधि के निश्चित अनुबंधों को प्रोत्साहित करने तथा प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) को फिर से शुरू करने से कांट्रैक्ट लेबर का दुरुपयोग कम हो सकता है।
  • PMRPY ने पहले पेंशन और भविष्य निधि में नियोक्ता के योगदान का समर्थन करके एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों को लाभान्वित किया था। 
  • Tags :
  • India's Manufacturing Sector
  • Contract Labour
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