भारत की रूसी तेल खरीद पर अमेरिकी टैरिफ का खतरा
अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा रूस से भारी मात्रा में कच्चा तेल खरीदने के कारण भारत से आयातित वस्तुओं पर शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि की धमकी दी है। इसके बाद हाल ही में भारतीय वस्तुओं पर 25% आयात शुल्क और रूसी ऊर्जा खरीद पर संभावित जुर्मानें की घोषणा की गई है।
रूस के साथ भारत का तेल व्यापार
- भारत अपने कच्चे तेल का एक-तिहाई हिस्सा रूस से आयात करता है, जिससे रूस उसका सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है।
- चीन के बाद भारत, रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है।
आलोचना और स्पष्टीकरण
- भारत कच्चे तेल का नहीं बल्कि डीजल और जेट ईंधन जैसे परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात करता है।
- रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार भारत नहीं, बल्कि चीन है।
- रूस के साथ भारत का तेल व्यापार पारदर्शी है, जिसका उद्देश्य पश्चिमी प्रतिबंधों से बाधित वैश्विक तेल बाजारों में स्थिरता लाना है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और औचित्य
- अमेरिका ने भारत पर रूसी कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन में रूस के युद्ध को वित्त-पोषित करने का आरोप लगाया है।
- भारत अपनी तेल खरीद का बचाव करते हुए कहता है कि यह बढ़ती ऊर्जा कीमतों के बीच सर्वोत्तम सौदे हासिल करने और वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर बनाए रखने का प्रयास है।
- भारत सरकार ने दीर्घकालिक अनुबंधों और रातोंरात उनमें परिवर्तन करने की जटिलता के कारण रूस से तेल आयात जारी रखा।
- इसमें रूस के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी और किफायती ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
यह संदर्भ भारत को कथित रूप से अनुचित तरीके से निशाना बनाए जाने को दर्शाता है, जो राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा को प्राथमिकता देता रहा है।