चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध में दुर्लभ मृदा तत्वों का अवलोकन
चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव में दुर्लभ मृदा खनिज (Rare Earth Minerals) संघर्ष के एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में प्रमुखता से उभरे हैं। चीन द्वारा हाल ही में दुर्लभ मृदा के निर्यात को प्रतिबंधित करने की कार्रवाइयों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिका की ओर से जवाबी धमकियाँ दी जा रही हैं, जिनमें संभावित टैरिफ (प्रशुल्क) और उच्च स्तरीय बैठकों को रद्द करना शामिल है।
दुर्लभ मृदा तत्वों को समझना
- दुर्लभ मृदा में 17 धात्विक तत्व शामिल हैं, जिनमें लैंथेनम (परमाणु क्रमांक 57) से लेकर ल्यूटेटियम (71) तक, साथ ही स्कैंडियम (21) और इट्रियम (39) शामिल हैं।
- इनकी विशेषता उच्च घनत्व, गलनांक, चालकता और तापीय चालकता है।
- "दुर्लभ" कहे जाने के बावजूद, ये तत्व अपेक्षाकृत प्रचुर मात्रा में हैं, लेकिन ये अधिक सांद्रता में नहीं पाए जाते, जिससे इनका निष्कर्षण महंगा हो जाता है।
- इनके प्रमुख उपयोगों में इलेक्ट्रॉनिक्स, हथियार, पवन टर्बाइन, इलेक्ट्रिक वाहन और कई उच्च-प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग शामिल हैं।
चीन का प्रभुत्व और रणनीतिक उपयोग
- चीन विश्व स्तर पर 60% से अधिक दुर्लभ मृदा उत्पादन (Rare Earth Production) और 90% से अधिक प्रसंस्करण (processing) को नियंत्रित करता है।
- चीन ने दुर्लभ मृदा तत्वों को एक रणनीतिक व्यापारिक उपकरण के रूप में स्थापित किया है, जिसका लाभ वह विशेष रूप से अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ताओं में उठाता है।
- हालिया प्रतिबंधों में, चीन ने अपनी नियंत्रण सूची में पाँच और दुर्लभ मृदा तत्व जोड़े हैं, जिनके लिए अब निर्यात लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
वैश्विक प्रभाव और प्रतिक्रिया
- ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे अन्य देशों के पास इनके भंडार तो हैं, लेकिन आर्थिक और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण वे खनन और प्रसंस्करण में पिछड़ रहे हैं।
- संभावित प्रतिक्रियाओं में अमेरिका द्वारा चीन पर निर्भरता कम करने के प्रयास शामिल हैं, जिसका उदाहरण समुद्री तल की धातुओं का भंडार जमा करने की योजना है।
- जापान, चीन द्वारा पूर्व में लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों के बाद दुर्लभ मृदा आपूर्ति श्रृंखला में पुनः प्रवेश करने में सफल रहा है।
भारत पर प्रभाव
- मामूली घरेलू खपत के कारण चीन के प्रतिबंधों का भारत पर प्रभाव सीमित है, हालाँकि आयात में वृद्धि हुई है।
- दुर्लभ मृदा खनन के विस्तार की योजनाओं में अंडमान सागर में समुद्री तल का अन्वेषण और दुर्लभ मृदा प्रसंस्करण के लिए नए थीम पार्क स्थापित करना शामिल है।
- भारत का घरेलू उत्पादन IREL लिमिटेड के नेतृत्व में होता है और तथा सरकार समर्थित पहलों का उद्देश्य इस क्षेत्र की क्षमता और रणनीतिक महत्व को बढ़ाना है।
निष्कर्ष
दुर्लभ मृदा खनिज चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कारक बने हुए हैं, जो वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर रहे हैं और विभिन्न देशों को चीनी स्रोतों पर अपनी निर्भरता का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन तत्वों का भू-राजनीतिक महत्व भारत और अमेरिका जैसे देशों में विविध आपूर्ति और बढ़े हुए घरेलू उत्पादन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।