भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BHARAT FORECAST SYSTEM) | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

भारत पूर्वानुमान प्रणाली (BHARAT FORECAST SYSTEM)

21 Jul 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत पूर्वानुमान प्रणाली का अनावरण किया है। यह दुनिया की पहली स्वदेशी रूप से विकसित, हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों में से एक है।

भारत पूर्वानुमान प्रणाली के बारे में

  • विकासकर्ता: यह प्रणाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक स्वायत्त संस्थान, पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology: IITM) द्वारा विकसित की गई है।
  • भूमिका: यह भारत में मौसम के पूर्वानुमान का रिज़ॉल्यूशन 12 कि.मी. से बढ़ाकर 6 कि.मी. करती है, जिससे देश के हर गांव को अधिक सटीक और विशिष्ट पूर्वानुमान मिल पाएगा।
  • डेटा स्रोत: यह 40 डॉपलर वेदर रडार से रियल टाइम का डेटा लेती है, जिससे स्थानीय स्तर पर और तात्कालिक पूर्वानुमानों की सटीकता बढ़ती है।
    • डॉपलर रडार: यह एक खास तरह का रडार है जो डॉप्लर प्रभाव का इस्तेमाल करके कणों की गति का डेटा इकट्ठा करता है। डॉप्लर प्रभाव वह है जिसमें प्रेक्षक के सापेक्ष गतिमान स्रोत द्वारा उत्सर्जित तरंग की आवृत्ति में परिवर्तन होता है।

BFS का महत्त्व

  • बेहतर सटीकता और गति: यह प्रणाली जोखिम वाले क्षेत्रों में 64% अधिक सटीकता देती है और भारी बारिश तथा चक्रवात जैसी चरम घटनाओं के लिए 4-6 घंटे में पूर्वानुमान प्रदान करती है।
    • पुराने मौसम पूर्वानुमान मॉडल को किसी खास क्षेत्र के लिए पूर्वानुमान देने में 12 से 14 घंटे लगते थे।
  • वैश्विक नेतृत्व: 6 कि.मी. के रिज़ॉल्यूशन के साथ, यह प्रणाली अमेरिका, UK और यूरोपीय संघ जैसे देशों से आगे है, जिनके मॉडल 9-14 कि.मी. के रिज़ॉल्यूशन पर काम करते हैं।
  • आपदा प्रबंधन और कृषि में सहायता:
    • यह गांव और ब्लॉक स्तर पर विशिष्ट, अल्पावधि हेतु और तात्कालिक पूर्वानुमान (नाउकास्ट) प्रदान करता है।
    • यह किसानों, तटीय समुदायों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को फसल की बुवाई, सिंचाई का समय तय करने और समय पर चेतावनी देने में मदद करता है।
  • आर्थिक लाभ: यह कृषि, बुनियादी ढांचे और जल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में जलवायु-संबंधी नुकसान को कम करने में मदद करता है।
    • यह हाई-परफोर्मेंस कंप्यूटिंग (HPC) प्रणाली 'अर्का' (IITM पुणे) और 'अरुणिका' (राष्ट्रीय मध्यम-अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र, दिल्ली) द्वारा संचालित है, जो तेज़ी से सिमुलेशन (अनुकरण) प्रदान करते हैं।
  • क्षेत्रीय पूर्वानुमान: यह निम्न और मध्यम आय वाले देशों को प्रभावित करने वाले उष्णकटिबंधीय मौसम संबंधी विक्षोभ, जैसे- मॉनसून, चक्रवात और अत्यधिक बारिश की घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान लगाने में मदद करता है।

निष्कर्ष

भारत पूर्वानुमान प्रणाली महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अवसंरचना में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाती है। जैसे-जैसे जलवायु संबंधी जोखिम बढ़ रहे हैं, इस तरह की प्रगति रेसिलिएंस और समावेशी विकास सुनिश्चित करने में विज्ञान की भूमिका को उजागर करती है।

Explore Related Content

Discover more articles, videos, and terms related to this topic

Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features