विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्लस्टर पहल {Science And Technology (S&T) Clusters Initiatives}
“विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्लस्टर वार्षिक रिपोर्ट 2024-2025" में "विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्लस्टर पहल" के तहत शुरू की गई विभिन्न पहलों को रेखांकित किया गया। इन पहलों में Kalaanubhav.in भी शामिल है जो कारीगरों के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल रियलिटी (VR) आधारित मार्केटप्लेस है।
‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्लस्टर पहल’ के बारे में
- शुरुआत: यह पहल 2020 में "प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PM-STIAC)" की सिफारिशों के आधार पर लॉन्च की गई थी।
- उद्देश्य: शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान एवं विकास संगठनों, उद्योगों और स्थानीय सरकारों जैसे हितधारकों को एक साथ लाना, ताकि इनोवेटिव विचारों के माध्यम से मांग-आधारित समाधान प्रदान किए जा सकें।
- कार्यप्रणाली:
- यह कंसोर्टियम-आधारित अप्रोच के माध्यम से संचालित होता है।
- यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों की समस्या के समाधान पर केंद्रित है।
- नोडल कार्यान्वयन एजेंसी: प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) का कार्यालय।
- PSA कैबिनेट सचिव के तहत कार्य करता है।
- Tags :
- PM-STIAC
- Kalaanubhav.in
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क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज इंडेक्स (Critical And Emerging Technologies Index)
क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज इंडेक्स का अनावरण किया गया है। यह सूचकांक 25 देशों के पांच प्रौद्योगिकी क्षेत्रों यथा- AI, जैव प्रौद्योगिकी, सेमीकंडक्टर्स, अंतरिक्ष और क्वांटम में प्रदर्शन का आकलन करता है।
- इसे हार्वर्ड कैनेडी स्कूल ने प्रकाशित किया है।
- इसमें 6 मापदंडों के आधार पर प्रत्येक प्रौद्योगिकी क्षेत्र की पहचान की गई है:
- भू-राजनीतिक महत्त्व,
- प्रणालीगत प्रभाव,
- GDP में योगदान,
- दोहरे उपयोग की क्षमता,
- आपूर्ति श्रृंखला जोखिम, और
- परिपक्व होने में लगने वाला समय।
प्रमुख निष्कर्ष
- भारत इन तकनीकी क्षेत्रों में शीर्ष तीन (अमेरिका, चीन और यूरोप) की तुलना में काफी पीछे है।
- भारत महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में पिछड़ा हुआ है।
- Tags :
- Critical and Emerging Technologies Index
- Dual - use Technologies
क्वांटम एंटेंगलमेंट आधारित कम्युनिकेशन में सफलता प्राप्त हुई (Quantum Entanglement-Based Communication Achieved)
DRDO और IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने क्वांटम एंटेंगलमेंट आधारित फ्री-स्पेस कम्युनिकेशन में सफलता पाई।
- शोधकर्ताओं ने करीब 1 किलोमीटर की दूरी तक फ्री-स्पेस ऑप्टिकल लिंक के जरिए क्वांटम सिक्योर कम्युनिकेशन का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया।
- इससे पहले इसरो ने 2021 में 300 मीटर से अधिक दूरी तक पहला फ्री-स्पेस QKD का प्रदर्शन किया था।
प्रयोग के बारे में
- यह प्रयोग DRDO के ‘फ्री-स्पेस क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) के लिए फोटॉनिक तकनीकों के डिजाइन और विकास’ प्रोजेक्ट का हिस्सा था।
- इस प्रयोग में क्वांटम बिट त्रुटि दर (QBER) 7% से भी कम रही।
- QBER यह दर्शाता है कि भेजी गई और प्राप्त जानकारी में कितना अंतर है यानी जानकारी को कोई तीसरा व्यक्ति गोपनीय रूप से तो प्राप्त नहीं कर रहा है।
- यह क्वांटम साइबर सुरक्षा, लंबी दूरी की QKD और भविष्य के क्वांटम इंटरनेट में रियल टाइम अनुप्रयोगों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) क्या है?
- संचार प्रौद्योगिकी: यह एक क्वांटम संचार तकनीक है, जो क्वांटम मैकेनिक्स अर्थात् क्वांटम एंटेंगलमेंट और क्रिप्टोग्राफी पर आधारित है।
- क्वांटम मैकेनिक्स विज्ञान की एक नई शाखा है जो यह बताती है कि अत्यंत सूक्ष्म कण एक ही समय में कण और तरंग (एक हलचल या भिन्नता जो ऊर्जा स्थानांतरित करती है) दोनों जैसा व्यवहार करते हैं।
- भौतिक विज्ञानी इसे "वेव-पार्टिकल डुअलिटी यानी तरंग-कण द्वैत" कहते हैं।
- क्वांटम मैकेनिक्स विज्ञान की एक नई शाखा है जो यह बताती है कि अत्यंत सूक्ष्म कण एक ही समय में कण और तरंग (एक हलचल या भिन्नता जो ऊर्जा स्थानांतरित करती है) दोनों जैसा व्यवहार करते हैं।

- मुख्य सिद्धांत:
- क्वांटम एंटेंगलमेंट: इस प्रक्रिया में, कई क्वांटम कण एक-दूसरे से इस तरह जुड़े होते हैं कि एक कण की स्थिति तुरंत दूसरे कण की स्थिति को प्रभावित कर सकती है, चाहे वे कितनी भी दूरी पर हों।
- क्वांटम क्रिप्टोग्राफी: एक ऐसी एन्क्रिप्शन तकनीक है, जो डेटा को इतनी सुरक्षा देती है कि उसे कोई हैक नहीं कर सकता।
- Tags :
- Quantum Key Distribution
- Quantum Entanglement
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फाइबर ऑप्टिक ड्रोन (Fiber Optic Drones)
फाइबर ऑप्टिक्स फर्स्ट-पर्सन-व्यू (FPV) ड्रोन का उपयोग रूस-यूक्रेन युद्ध में किया जा रहा है।
फाइबर ऑप्टिक्स फर्स्ट-पर्सन-व्यू (FPV) ड्रोन्स के बारे में
- ये वायर्ड कामिकाज़े ड्रोन होते हैं, जो नेविगेशन के लिए रेडियो वेव्स की बजाय फाइबर ऑप्टिक तकनीक (20 कि.मी. तक) का उपयोग करते हैं।
- फाइबर ऑप्टिक्स में बहुत पतले कांच या प्लास्टिक के तार का उपयोग होता है।
- वे तेज गति, लंबी दूरी और समकालिक संचार को सक्षम कर सकते हैं।
- वायर्ड केबल के विपरीत, फाइबर केबल एक समय में एक ही आवृत्ति पर केवल एक ही संचार को सक्षम करती है।
- रेडियो लिंक न होने का अर्थ है कि उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) प्रणालियों द्वारा जाम या इंटरसेप्ट नहीं किया जा सकता।

- Tags :
- Fibre Optics
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डिजिटल हब फॉर रेफरेंस एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेस (Digital Hub for Reference and Unique Virtual Address: DHRUVA)
डाक विभाग (DoP) ने DHRUVA का सम्पूर्ण फ्रेमवर्क बताने वाला एक व्यापक नीतिगत दस्तावेज जारी किया है। DHRUVA वास्तव में राष्ट्रीय स्तर की डिजिटल एड्रेस डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) है।
DHRUVA के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- DHRUVA एक प्रकार का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) है। इसे भारत के प्रत्येक परिवार को एक विशिष्ट डिजिटल एड्रेस प्रदान करने के लिए डाक विभाग द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- यह अधिक सुरक्षित डिजिटल कार्यप्रणाली सुनिश्चित करेगा, जिसमें यूजर्स जियो-कोडेड फ्रेमवर्क का उपयोग करते हुए एड्रेस की सटीक जानकारी साझा कर सकते हैं।
- उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य एड्रेस की जानकारी के प्रबंधन को मूलभूत पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देना है। इससे प्रभावी शासन, समावेशी तरीके से सेवा वितरण और यूजर्स को बेहतर सेवा अनुभव सुनिश्चित होगा।
- DHRUVA के दो प्रमुख लेयर्स हैं:
- डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DIGIPIN): यह 10-अंकीय अल्फ़ा-न्यूमेरिक कोड है। यह कोड भारत की भौगोलिक सीमाओं में लगभग 4x4 मीटर के समान ग्रिड बनाकर भू-स्थान अवस्थिति (अक्षांश-देशांतर/ latitude-longitude) को दर्शाएगा।
- DIGIPIN भू-स्थानिक (Geospatial) डेटा के आधार पर स्थानों की सटीक तरीके से पहचान करता है।
- डिजिटल एड्रेस लेयर: यह यूजर्स-केंद्रित व सहमति-आधारित प्रणाली है। यह DIGIPIN पर आधारित है। यह प्रणाली यूजर्स को अपने DIGIPIN और पते का विवरण दर्शाने के लिए कस्टम लेबल बनाने की अनुमति देती है।
- डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर (DIGIPIN): यह 10-अंकीय अल्फ़ा-न्यूमेरिक कोड है। यह कोड भारत की भौगोलिक सीमाओं में लगभग 4x4 मीटर के समान ग्रिड बनाकर भू-स्थान अवस्थिति (अक्षांश-देशांतर/ latitude-longitude) को दर्शाएगा।
- मुख्य विशेषताएं:
- यह प्राइवेसी और सिक्योरिटी सुनिश्चित करेगा;
- यह पारस्परिक संचालन और खुलापन सुनिश्चित करेगा;
- इसमें मांग के अनुसार विस्तार करने की क्षमता है;
- यह पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगा;
- यह नवाचार को बढ़ावा देगा, आदि।
DHRUVA पहल के मुख्य लाभ | ||
नागरिकों के लिए लाभ | निजी क्षेत्र के लिए लाभ | गवर्नेंस के लिए लाभ |
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- Tags :
- DIGIPIN
- Digital Public Infrastructure
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भारत की पहली जीन-एडिटेड भेड़ तैयार की गई (INDIA’S FIRST GENE-EDITED SHEEP PRODUCED)
CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग करके कश्मीर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के सहयोग से भारत की पहली जीन-एडिटेड भेड़ तैयार की।
- गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही चावल (धान) की पहली जीन-एडिटेड किस्म जारी की गई थी।
CRISPR-Cas9 तकनीक के बारे में
- CRISPR-Cas9 तकनीक वास्तव में DNA स्ट्रैंड्स के लिए कट-एंड-पेस्ट विधि पर कार्य करती है।
- 2020 का रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार इसी खोज के लिए प्रदान किया गया था।
शोध के बारे में
- एक मेमने में मायोस्टेटिन जीन को एडिट किया गया, जिससे मांसपेशियों की वृद्धि में 30% की बढ़ोतरी हुई। यह गुण कुछ यूरोपीय नस्ल की भेड़ों (जैसे कि टेक्सेल) में पाया जाता है, लेकिन भारतीय नस्ल के भेड़ों में नहीं पाया जाता है।
- इस प्रक्रिया में किसी बाहरी DNA को प्रवेश नहीं कराया गया। इस तरह यह कोई ट्रांसजेनिक जानवर नहीं है।
- इस प्रकार, यह तकनीक पूरी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाती है। साथ ही, इससे नियम का उल्लंघन भी नहीं होता है तथा यह उपभोक्ताओं के लिए भी लाभकारी साबित होती है।
- इससे पहले, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) ने एक जीन-एडिटेड भैंस का भ्रूण विकसित किया था।

जानवरों में जीन एडिटिंग से संबंधित नैतिक चिंताएं
- बुद्धिमत्ता, लिंग या रूप जैसे लक्षणों को एडिट करने से "डिजाइनर बेबी" के निर्माण का खतरा उत्पन्न हो सकता है। इससे अमीर एवं अन्य लोगों के बीच असमानता और बढ़ सकती है।
- यह यूजीनिक्स यानी वांछित गुणों वाली संतान को जन्म देने को प्राथमिकता देने का खतरा उत्पन्न कर सकता है। जाहिर है इससे भेदभाव को और बढ़ावा मिलेगा।
- जीन एडिटिंग से "ऑफ-टारगेट" प्रभाव और "मोज़ेइकिज़्म" (Mosaicism) को बढ़ावा मिल सकता है।
- ऑफ-टारगेट" प्रभाव से आशय है अवांछित आनुवंशिक संशोधन।
- मोज़ेइकिज़्म ऐसी स्थिति है, जिसमें एक ही व्यक्ति की कोशिकाओं में अलग-अलग यानी मिश्रित आनुवंशिक संरचना होती है।
- इसमें नए रोगों या पारिस्थितिकी-तंत्र को नुकसान पहुंचाने जैसे अज्ञात खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
- जानवरों के कल्याण से जुड़ी चिंताएं भी उतपन्न होती है, क्योंकि जीन-एडिटेड जानवरों को तैयार करने में अक्सर कुछ जानवरों की सर्जरी की जाती है और कुछ जानवरों का बलिदान भी देना पड़ता है।
- गौरतलब है कि यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय बायो-एथिक्स समिति जीनोम एडिटिंग के नैतिक प्रभावों की पड़ताल कर रही है।
- Tags :
- CRISPR-Cas9
- Germline Editing
- Somatic Cell Editing
HIV की रोकथाम के लिए नई दवा को मंजूरी (HIV PREVENTION DRUG APPROVED)
यू. एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने HIV की रोकथाम के लिए एक नई दवा लेनाकैपाविर को मंजूरी प्रदान की।
- FDA की मंजूरी से अब यह दवा WHO प्रीक्वालिफिकेशन के लिए पात्र हो गई है। इससे अलग-अलग देशों में इसे जल्दी स्वीकृति मिल सकती है।
- WHO प्रीक्वालिफिकेशन ऑफ़ मेडिसिन्स प्रोग्राम (PQP) यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि दवा खरीद एजेंसियां जो दवाएं सप्लाई करती हैं, वे गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता के स्वीकार्य मानकों को पूरा करती हैं।
लेनाकैपाविर के बारे में
- लेनाकैपाविर एक एंटीरेट्रोवायरल दवा है। इसका उपयोग HIV की रोकथाम के लिए प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PrEP) के रूप में किया जाता है।
- PrEP एक ऐसी दवा है, जो उन HIV नेगेटिव व्यक्तियों में HIV संक्रमण के जोखिम को कम कर सकती है, जिन्हें वायरस से संक्रमित होने का खतरा है।
- WHO वर्तमान में HIV PrEP के विकल्पों के रूप में ओरल PrEP, डैपिविरिन वैजाइनल रिंग, और लॉन्ग-एक्टिंग इंजेक्टेबल कैबोटिग्रैविर (CAB-LA) की सिफारिश करता है।
HIV के बारे में
- ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) एक वायरस है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है।
- कार्य-प्रणाली: HIV शरीर की श्वेत रक्त कोशिकाओं (CD4 कोशिकाओं/ CD4 टी लिम्फोसाइट्स) को संक्रमित कर उन्हें नष्ट कर देता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
- प्रसार: HIV वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थों जैसे- रक्त, स्तन का दूध, सीमन और योनि स्राव से फैलता है।
- यह माता से बच्चे में भी फैल सकता है।
- उपचार: HIV को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) से रोका और नियंत्रित किया जा सकता है।
- बिना इलाज के HIV आगे चलकर AIDS (एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम) में बदल सकता है।
- HIV अनुमान 2023 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2.5 मिलियन से अधिक लोग HIV संक्रमण से पीड़ित हैं।
- Tags :
- CD4 T Lymphocytes
- White Blood Cells
वजन कम करने वाली दवाएं (WEIGHT LOSS DRUG)
डेनमार्क की दवा कंपनी नोवो नोर्डिस्क ने भारत में अपनी वजन कम करने वाली दवा वेगोवी लॉन्च की।
- इस दवा का सक्रिय घटक सेमाग्लूटाइड है और इसे वेगोवी ब्रांड नाम से बेचा जा रहा है। यह इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध होगी और इसे सप्ताह में एक बार लेना होगा।
- सेमाग्लूटाइड भूख को कम करने का काम करता है। यह शरीर में मौजूद GLP-1 (ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1) नामक हार्मोन की कॉपी करता है।
- GLP-1 आंतों में पाया जाने वाला एक हार्मोन है, जो खाना खाने के बाद शरीर में रिलीज़ होता है और व्यक्ति को अधिक देर तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है।
- सेमाग्लूटाइड भूख को कम करने का काम करता है। यह शरीर में मौजूद GLP-1 (ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1) नामक हार्मोन की कॉपी करता है।
- वजन घटाने की अन्य दवाओं में माउंजारो भी शामिल है, जो टिर्जेपटाइड से बनी है। यह GLP-1 और GIP दोनों हार्मोन की तरह काम करता है।
- Tags :
- Peptide
- Semaglutide