Select Your Preferred Language

Please choose your language to continue.

नार्को परीक्षणों की संवैधानिक वैधता (CONSTITUTIONAL VALIDITY OF NARCO TESTS) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

संक्षिप्त समाचार

Posted 21 Jul 2025

4 min read

नार्को परीक्षणों की संवैधानिक वैधता (CONSTITUTIONAL VALIDITY OF NARCO TESTS)

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें सभी आरोपियों और गवाहों पर नार्को-टेस्ट की अनुमति दी गई थी।

  • यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य (2010) मामले में की गई टिप्पणियों पर आधारित था, जिसमें नार्को-एनालिसिस और पॉलीग्राफ जैसे टेस्ट्स की संवैधानिक वैधता पर विचार किया गया था।

नार्को-एनालिसिस टेस्ट के बारे में

  • यह पूछताछ का एक तरीका है जिसमें किसी अपराध के संदिग्ध को नियंत्रित परिस्थितियों में एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है, ताकि उसकी सोचने-समझने की शक्ति या अपने भले-बुरे का निर्णय करने की क्षमता को दबाया जा सके।
  • सोडियम पेंटोथॉल नामक यह दवा आम तौर पर सर्जरी में सामान्य एनेस्थीसिया देने के लिए उच्च मात्रा में दी जाती है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुख्य बिंदु

  • अनैच्छिक नार्को-टेस्ट संविधान का उल्लंघन करता है:
    • ऐसे टेस्ट संविधान के अनुच्छेद 20(3) (किसी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता) और अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संरक्षण का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
    • किसी भी परिस्थिति में बलपूर्वक नार्को-टेस्ट कराना पूरी तरह से गैर-कानूनी है।
    • अनैच्छिक टेस्ट से प्राप्त कोई भी जानकारी अदालत में स्वीकार्य नहीं होती।
  • स्वैच्छिक नार्को-टेस्ट, सजा देने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता:
    • भले ही ऐसे टेस्ट स्वैच्छिक रूप से और सभी सुरक्षा उपायों के तहत किए गए हों, इसके बावजूद इस तरह की रिपोर्ट को प्रत्यक्ष रूप से साक्ष्य के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।
      • ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसे टेस्ट के दौरान व्यक्ति के जवाब चेतन अवस्था में नहीं दिए गए होते हैं।
    • हालांकि, यदि टेस्ट से कोई नई जानकारी प्राप्त होती है, तो उसे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत स्वीकार किया जा सकता है।
    • यह तथ्य सेल्वी वाद के अलावा विनोभाई बनाम केरल राज्य और मनोज कुमार सोनी बनाम मध्य प्रदेश राज्य जैसे मामलों में भी दोहराई गई।
  • स्वैच्छिक रूप से नार्को-टेस्ट कराने का सीमित अधिकार:
    • आरोपी को नार्को-एनालिसिस टेस्ट कराने का आत्यंतिक (पूर्ण) अधिकार नहीं है।
    • लेकिन, आरोपी अभियोजन के उचित चरण के दौरान स्वेच्छा से नार्को टेस्ट कराने का विकल्प चुन सकता है, जैसे- साक्ष्य प्रस्तुत करने के अधिकार का प्रयोग करते समय। 
  • Tags :
  • Article 21
  • Narco Tests
  • Selvi v. State of Karnataka 2010
  • Articles 20

भारतीय गुणवत्ता परिषद (QUALITY COUNCIL OF INDIA: QCI)

भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री ने नई दिल्ली स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) के नए एकीकृत मुख्यालय का उद्घाटन किया।

भारतीय गुणवत्ता परिषद के बारे में

  • स्थापना: इस परिषद की स्थापना 1996 में एक राष्ट्रीय प्रत्यायन संस्था के रूप में की गई।
  • मिशन: भारत में राष्ट्रव्यापी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के अभियान का नेतृत्व करना।
  • गैर-लाभकारी संगठन (NPO): यह सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी संगठन है।
  • QCI सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से एक स्वतंत्र स्वायत्त संगठन के रूप में कार्य करती है।
  • PPP मॉडल: इसे भारत सरकार तथा तीन प्रमुख उद्योग संघों - एसोचैम, CII, और फिक्की (FICCI) - का समर्थन प्राप्त है।
    • गुणवत्ता और QCI से जुड़े सभी मामलों के लिए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है।  
  • अध्यक्ष: QCI के अध्यक्ष की नियुक्ति उद्योग जगत द्वारा सरकार को की गई सिफारिशों के आधार पर प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। 
  • स्वच्छ भारत मिशन (SBM) में भूमिका: स्वच्छता (सैनिटेशन) और सफाई (क्लीनलीनेस) मापदंडों पर शहरों का आकलन और रैंकिंग करने के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण सर्वे के कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
  • विश्व प्रत्यायन दिवस (World Accreditation Day)  9 जून को मनाया जाता है। यह इंटरनेशनल लेबोरेटरी एक्रेडिटेशन को-ऑपरेशन (ILAC) और इंटरनेशनल एक्रेडिटेशन फोरम (IAF) द्वारा प्रत्यायन के महत्व को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक पहल है।
  • Tags :
  • DPIIT
  • Quality Council of India (QCI)
  • स्वच्छ भारत मिशन (SBM)
  • विश्व प्रत्यायन दिवस

आदि कर्मयोगी कार्यक्रम (Adi Karmyogi Programme)

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 'आदि कर्मयोगी' कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

‘आदि कर्मयोगी’ कार्यक्रम के बारे में

  • लक्ष्य: ऐसे प्रेरित अधिकारियों और चेंजमेकर्स का एक समूह तैयार करना, जो जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने के लिए समर्पित हों।
  • उद्देश्य: राज्य, जिला और ब्लॉक स्तरों पर प्रशिक्षकों और मास्टर-ट्रेनर्स का एक बैच बनाकर लगभग 20 लाख फील्ड-स्तरीय हितधारकों की क्षमता का निर्माण करना।।
  • यह कार्यक्रम फील्ड-स्तरीय अधिकारियों की सोच और प्रेरणा में मूलभूत परिवर्तन लाने का प्रयास करता है, जिसमें नागरिक-केंद्रित सोच और सेवाओं की प्रभावी डिलीवरी पर जोर दिया गया है।
  • लक्ष्य: 1 लाख जनजातीय गांवों और बस्तियों तक पहुँचना।

 

  • Tags :
  • Ministry of Tribal Affairs
  • Adi Karmyogi Programme

ECINET ऐप (ECINET app)

हाल ही में, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने केरल, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल की पांच विधान सभा सीटों पर हुए उपचुनावों के दौरान नए ECINET डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग किया।

ECINET ऐप के बारे में

  • यह वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है जो ECI के 40 से अधिक मौजूदा मोबाइल और वेब एप्लीकेशंस को एकीकृत और पुनर्गठित करेगा।
    • निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के तहत, पीठासीन अधिकारियों को मतदान समाप्त होने पर मतदान केंद्र पर उपस्थित राजनीतिक दलों द्वारा नामित बूथ स्तर के एजेंटों को फॉर्म 17C प्रदान करना अनिवार्य होता है।
  • मुख्य विशेषताएं:
    • लगभग रियल टाइम में मतदान प्रतिशत को अपडेट करने की सुविधा: प्रत्येक मतदान केंद्र का पीठासीन अधिकारी अब मतदान के दिन हर दो घंटे में ECINET ऐप पर सीधे मतदान प्रतिशत से जुड़े डेटा दर्ज करेगा, ताकि वोटिंग ट्रेंड को अपडेट करने में लगने वाले समय को कम किया जा सके।
    • सटीक डेटा सुनिश्चित करना: इस नई पहल के तहत, यह सुनिश्चित करने के लिए कि डेटा यथासंभव सटीक हो, ECINET पर डेटा केवल अधिकृत ECI अधिकारी द्वारा दर्ज किया जाएगा।
    • इंडेक्स कार्ड को तेजी से जारी करना: इंडेक्स कार्ड के अधिकतर कॉलम स्वतः भर दिए जाते हैं, जिससे अब इसे चुनाव परिणाम घोषित होने के 72 घंटों के भीतर प्रकाशित किया जा सकता है, जबकि पहले इसमें हफ्तों या महीनों का समय लगता था। 
      • इंडेक्स कार्ड मतदान के बाद जारी की जाने वाली गैर-सांविधिक प्रकृति की रिपोर्ट है जो सभी हितधारकों (शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं) के लिए निर्वाचन क्षेत्र-स्तरीय विस्तृत चुनावी डेटा प्रदान करती है।

फॉर्म 17C के बारे में

  • इसका पहला भाग निम्नलिखित जानकारी प्रदान करता है:
    • मतदान केंद्र पर पंजीकृत कुल मतदाताओं की संख्या,
    • मतदाता पंजी (फॉर्म 17A) में दर्ज कुल मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या,
    • मतदान न करने का निर्णय लेने वाले मतदाताओं की संख्या,
    • जिन मतदाताओं को मतदान की अनुमति नहीं दी गई, उनकी संख्या। 
  • इसका दूसरा भाग उम्मीदवारों के नाम और उन्हें प्राप्त कुल मतों जैसी जानकारी प्रदान करता है।
  • Tags :
  • Election Commission of India
  • ECINET App
Download Current Article
Subscribe for Premium Features