सुर्ख़ियों में क्यों?
पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण (PPV&FR) अधिनियम, 2001 की रजत जयंती (25 वर्ष) मनाई गई।
अन्य संबंधित तथ्य
- PPV&FR अधिनियम को WTO के ट्रिप्स/ TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलू) समझौते के प्रवर्तन को पूरा करने के लिए अधिनियमित किया गया था, जिसकी भारत ने पुष्टि की थी।
- ट्रिप्स समझौता सदस्य देशों को पौधा किस्मों के संरक्षण के लिए पेटेंट, एक प्रभावी 'सुई जेनेरिस' (sui generis) प्रणाली, अथवा पेटेंट और 'सुई जेनेरिस' प्रणाली दोनों के संयोजन को चुनने का विकल्प देता है।
- 'सुई जेनेरिस' प्रणाली का तात्पर्य एक अनुकूलित और अद्वितीय कानूनी ढांचे से है। इसे ऐसी चीज़ों के संरक्षण के लिए डिज़ाइन किया गया है जो मौजूदा श्रेणियों (विशेष रूप से बौद्धिक संपदा कानून में) में फिट नहीं होती हैं।
- भारत ने पौधों पर पेटेंट प्रदान नहीं करने का विकल्प चुना तथा इसके स्थान पर सुई जेनेरिस प्रणाली के माध्यम से पौध किस्मों की सुरक्षा करने का निर्णय लिया।
- ट्रिप्स समझौता सदस्य देशों को पौधा किस्मों के संरक्षण के लिए पेटेंट, एक प्रभावी 'सुई जेनेरिस' (sui generis) प्रणाली, अथवा पेटेंट और 'सुई जेनेरिस' प्रणाली दोनों के संयोजन को चुनने का विकल्प देता है।
PPV&FR अधिनियम के बारे में
- उद्देश्य: पौधा किस्मों, किसानों और पादप प्रजनकों के अधिकारों के संरक्षण के लिए एक प्रभावी प्रणाली स्थापित करना। साथ ही, नई पौधा किस्मों के विकास को प्रोत्साहित करना।
- परिचय: यह 'इंटरनेशनल यूनियन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ न्यू वैरायटीज ऑफ प्लांट्स' (UPOV), 1978 के अनुरूप है। साथ ही, यह सार्वजनिक क्षेत्र के प्रजनन संस्थानों एवं किसानों के हितों का भी संरक्षण करता है।
- किस्मों का पंजीकरण: कोई किस्म पंजीकरण के लिए तभी पात्र होती है जब वह मुख्य रूप से विशिष्टता, एकरूपता और स्थिरता (Distinctiveness, Uniformity and Stability : DUS) को पूरा करती हो।
- अधिनियम के तहत अधिकार:
- प्रजनकों के अधिकार (Breeders' Rights): प्रजनकों के पास संरक्षित किस्म के उत्पादन, बिक्री, विपणन, वितरण, आयात या निर्यात का विशेष अधिकार होगा।
- शोधकर्ताओं के अधिकार (Researchers' Rights): शोधकर्ता प्रयोग या अनुसंधान करने के लिए किसी भी पंजीकृत किस्म का उपयोग कर सकते हैं।
- इसमें किसी अन्य किस्म को विकसित करने के उद्देश्य से एक किस्म का प्रारंभिक स्रोत के रूप में उपयोग करना शामिल है। हालांकि, बार-बार उपयोग के लिए पंजीकृत प्रजनक की पूर्व अनुमति आवश्यक है।
- किसानों के अधिकार: किसान एक नई किस्म के पंजीकरण और संरक्षण के लिए उसी प्रकार हकदार हैं जैसे कि किसी किस्म के प्रजनक को होता है।
- किसानों की किस्म को 'विद्यमान किस्म' (Extant variety) के रूप में भी पंजीकृत किया जा सकता है।
- किसान भू प्रजातियों के पादप आनुवंशिक स्रोतों और आर्थिक पौधों के जंगली अन्योन्याप्रयी के संरक्षण के लिए मान्यता और प्रतिफल के पात्र हैं।
- इस अधिनियम के तहत किसानों को संरक्षित किस्म के 'ब्रांडेड बीज' बेचने का अधिकार नहीं होगा।
- लाभ साझाकरण: यदि कोई संगठन या व्यक्ति उत्पादन, विकास या प्रजनन के लिए किसान की किस्म का उपयोग करता है, तो किसान को लाभ का एक हिस्सा प्राप्त होना चाहिए।
- किस्मों की श्रेणियाँ: इन्हें तीन मुख्य समूहों में वर्गीकृत किया गया है:
- विद्यमान किस्में: बीज अधिनियम 1966 की धारा 5 के तहत अधिसूचित किस्में, और सार्वजनिक डोमेन में मौजूद किस्मों को विद्यमान किस्में कहा जाता है।
- किसानों की किस्में/ सामुदायिक किस्में: ये वे किस्में होती हैं जो पारंपरिक रूप से किसानों द्वारा अपने खेतों में उगाई और विकसित की जाती हैं। इसमें किसानों द्वारा संरक्षित जंगली अन्योन्याप्रयी और भू प्रजातियां भी शामिल हैं।
- अनिवार्यतः व्युत्पन्न किस्में: ये वे किस्में हैं जो मुख्य रूप से किसी प्रारंभिक किस्म से व्युत्पन्न होती हैं। ये किस्में प्रारंभिक किस्म के लक्षणों को बनाए रखती हैं और कम-से-कम एक विशेषता के लिए ऐसी प्रारंभिक किस्म से स्पष्ट रूप से अलग होती हैं।
- पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA): यह PPV&FR अधिनियम के तहत स्थापित एक सांविधिक निकाय है।
- मंत्रालय: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
- प्राथमिक उद्देश्य:
- नई पौधा किस्मों को विकसित करने में पादप प्रजनकों को उनके नवाचारों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करना।
- पारंपरिक किस्मों और जैव विविधता का संरक्षण करने वाले किसानों और समुदायों को मान्यता देना और प्रतिफल प्रदान करना।
- पंजीकृत किस्मों के खेत में बचाए गए बीजों को सुरक्षित करने, उपयोग करने, बोने, पुन: बोने, विनिमय करने, साझा करने और बेचने के किसानों के अधिकारों के संरक्षण को बढ़ावा देना।
- पादप प्रजनन और कृषि में अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करना।
- सदस्य: अध्यक्ष और 15 अन्य सदस्य, जिनमें किसानों, जनजातीय संगठनों, बीज उद्योग और महिला संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
PPV&FRA के तहत आने वाले निकाय:
- पौधा किस्मों का राष्ट्रीय रजिस्टर: इस राष्ट्रीय रजिस्टर में सभी पंजीकृत पौधा किस्मों के नाम के साथ-साथ पंजीकृत किस्मों के संबंध में प्रजनकों के अधिकारों का विवरण शामिल होता है।
- राष्ट्रीय जीन बैंक: इसे पंजीकृत किस्मों के प्रजनकों द्वारा जमा किए गए मूल उद्गम या जनकीय लाइन (parental lines) सहित बीज सामग्री को संग्रहीत करने के लिए स्थापित किया गया है।
- राष्ट्रीय जीन कोष: इसका उपयोग लाभ-साझाकरण के रूप में दी जाने वाली किसी भी राशि, किसानों को देय मुआवजे और आनुवंशिक संसाधनों के स्थायी उपयोग के समर्थन के लिए किया जाता है।

अधिनियम की सीमाएं
- प्रक्रियात्मक जटिलताएं: पंजीकरण प्रक्रिया में कई बाधाएं विद्यमान हैं। साथ ही, तकनीकी सहायता के बिना DUS परीक्षण मानदंडों को पूरा करना कठिन हो सकता है।
- विवाद: लाभ-साझाकरण में संभावित विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। साथ ही, प्रजनकों के अधिकारों एवं किसानों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाने में कठिनाइयां आती हैं।
- कमजोर प्रवर्तन तंत्र: किसानों में जागरूकता की कमी और पर्याप्त प्रवर्तन क्षमता की अनुपलब्धता के कारण प्रभावी निष्पादन में चुनौतियां हैं।
- अधिकारों और पहुंच में संतुलन: ऐसी आशंका हैं कि यह बड़ी कंपनियों द्वारा विशेष किस्मों के एकाधिकार को सुगम बना सकता है। इसके कारण लघु स्तर के किसानों को नुकसान हो सकता है।
- पारंपरिक ज्ञान की हानि: पारंपरिक प्रजनन पद्धतियों के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन का अभाव है। इससे पारंपरिक जलवायु-सुनम्य बीज किस्मों का प्रसार बाधित हो सकता है।
निष्कर्ष
चूंकि पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण (PPV&FR) अधिनियम, 2001 अपने पच्चीस वर्ष पूर्ण कर रहा है, इसलिए यह वैश्विक बौद्धिक संपदा दायित्वों के प्रति एक विशिष्ट भारतीय प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है। साथ ही, यह अधिनियम सचेत रूप से नवाचार और निष्पक्षता के बीच संतुलन बनाता है। भविष्य में, इस अधिनियम की पूर्ण परिवर्तनकारी क्षमता को साकार करने के लिए पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाना, संस्थागत क्षमता को मजबूत करना, किसानों तक पहुंच बढ़ाना और उचित लाभ-साझाकरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण होगा।