सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, भूटान के राजा और रानी अपनी आधिकारिक यात्रा पर भारत आए। इस दौरान एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।
संयुक्त वक्तव्य के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र
- भारत के प्रधान मंत्री ने भूटान नरेश को गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी परियोजना के लिए भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। इस परियोजना से भूटान की समृद्धि बढ़ेगी।

- यह करीब 2500 वर्ग किलोमीटर में फैली शून्य-कार्बन, सहकारी सिटी परियोजना है। यह परियोजना वित्त, पर्यटन, हरित ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, विमानन, लॉजिस्टिक्स, शिक्षा और आध्यात्मिकता में व्यवसायों के लिए स्थान प्रदान करेगी।
- निम्नलिखित पर सहमति व्यक्त की गई-
- असम के दर्रांगा में एकीकृत चेक पोस्ट खोलने को पूर्वी भूटान में पर्यटन एवं आर्थिक गतिविधियों के लिए फायदेमंद माना गया।
- दोनों पक्षों ने जलविद्युत क्षेत्रक में सहयोग के महत्त्व को दोहराया और पुनात्सांगछू-I जलविद्युत परियोजना को शीघ्र पूरा करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। इसके अलावा, 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना पर हुई प्रगति का भी उल्लेख किया।
भारत-भूटान द्विपक्षीय संबंधों का महत्त्व
दोनों देशों के लिए महत्त्व
- मजबूत राजनीतिक संबंध: इसका आधार 1949 में हस्ताक्षरित मैत्री और सहयोग संधि है। इसे फरवरी 2007 में नवीनीकृत किया गया था। यह संधि दोनों देशों के बीच मजबूत राजनीतिक संबंधों को रेखांकित करती है।
- दोनों देशों के बीच 1968 में औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे।

- पारस्परिक रूप से लाभकारी जल विद्युत सहयोग: 2006 में हस्ताक्षरित एक द्विपक्षीय समझौते और इसके 2009 के प्रोटोकॉल द्वारा जल विद्युत सहयोग को नियंत्रित किया जाता है। इससे दोनों देशों को लाभ होता है।
- भूटान को लाभ: भारत भूटान को जल विद्युत विकास के लिए वित्त-पोषण और ऊर्जा बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है, जो देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है।
- उदाहरण के लिए- भारतीय विद्युत एक्सचेंजों में डे अहेड और रियल टाइम मार्केट्स पर व्यापार के लिए बसोछु जलविद्युत और निकाछू जलविद्युत संयंत्रों तक पहुंच को सुगम बनाया गया है।
- भारत को लाभ: भूटान से आयातित स्वच्छ ऊर्जा संधारणीय रूप से बिजली की कमी को दूर करती है।
- भूटान को लाभ: भारत भूटान को जल विद्युत विकास के लिए वित्त-पोषण और ऊर्जा बाजारों तक पहुंच प्रदान करता है, जो देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है।
- भारत-भूटान बौद्ध संबंध: दोनों देश महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों पर तीर्थयात्रा को बढ़ावा देते हैं।
- कोलकाता की एशियाटिक सोसाइटी ने 16वीं सदी के बौद्ध भिक्षु झाबद्रुंग न्गवांग नामग्याल की प्रतिमा भूटान को उधार दी थी। उन्हें आधुनिक भूटान राष्ट्र का संस्थापक माना जाता है।
- सीमा-पार वन्यजीव संरक्षण: उदाहरण के लिए, दोनों देश ट्रांसबाउंड्री मानस कंज़र्वेशन एरिया (TraMCA) के माध्यम से भारत के मानस राष्ट्रीय उद्यान और भूटान के रॉयल मानस राष्ट्रीय उद्यान में वन्य-जीवों की रक्षा के लिए सहयोग करते हैं।
भूटान के लिए महत्त्व:
- मुक्त व्यापार व्यवस्था: व्यापार, वाणिज्य और पारगमन पर भारत-भूटान समझौता दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित करता है। इस समझौते पर पहली बार 1972 में हस्ताक्षर किए गए थे। इसे 2016 में संशोधित किया गया था।
- यह भूटानी निर्यात को तीसरे देशों में शुल्क-मुक्त पारगमन की अनुमति देता है।
- विकास सहायता: भारत ने भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-29) के तहत भूटान के लिए विकास सहायता राशि बढ़ाई है। साथ ही, भूटान के आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम का समर्थन भी किया है।
- भारत एक समग्र सुरक्षा प्रदाता के रूप में:
- डोकलाम गतिरोध: 2017 में, भारत ने 2007 की भारत-भूटान स्थायी मैत्री संधि का इस्तेमाल करके भूटान के नियंत्रण वाली उस ज़मीन पर कदम रखा, जिस पर चीन दावा करता है, ताकि चीन को गिपमोची तक सड़क बनाने से रोका जा सके।
- IMTRAT: भारतीय सैन्य प्रशिक्षण दल (IMTRAT) भूटानी बलों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। IMTRAT को 1961-62 में स्थापित किया गया था।
- अवसंरचना विकास: भारत के सीमा सड़क संगठन (BRO) ने परियोजना 'दंतक' के तहत भूटान में अधिकांश सड़कों का निर्माण किया है।
- भारत द्वारा समर्थन के अन्य क्षेत्र:
- भारत में अध्ययन करने हेतु भूटानी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति;
- भारत भूटान के कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 50% का योगदान देता है;
- भारत भूटान में ऑप्टिकल फाइबर स्थापित करने के लिए 'डिजिटल ड्रुक्युल' हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है आदि।
भारत के लिए महत्त्व:
- व्यापार: भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है।
- सामरिक अवस्थिति: भूटान भारत का एक सामरिक साझेदार है, क्योंकि यह चीन और भारत के बीच, विशेष रूप से संवेदनशील चुम्बी घाटी में एक बफर एरिया के रूप में कार्य करता है।

भारत-भूटान संबंधों में बढ़ती चिंताएं
- चीन और भूटान के बीच बढ़ती नजदीकी:
- हालांकि, भूटान का चीन में राजनयिक प्रतिनिधित्व नहीं है, फिर भी 2023 में भूटान के विदेश मंत्री ने चीन की पहली यात्रा की थी।
- चीन भूटान की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है तथा इसके व्यापार में 25% से अधिक का योगदान करता है ।
- भूटान चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने और सीमा विवाद को सुलझाने के पक्ष में हैं।
- चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता: चीन भूटान को अपनी "फाइव फिंगर पॉलिसी" का हिस्सा मानता है। इस पॉलिसी के तहत तिब्बत को हथेली और लद्दाख, नेपाल, सिक्किम, भूटान व अरुणाचल प्रदेश को अंगुलियां माना जाता है।
- भूटान-चीन सीमा विवाद: भूटान और चीन ने अक्टूबर 2021 में सीमा विवाद समाधान को तेज करने के लिए "तीन-चरणीय रोडमैप" पर हस्ताक्षर किए थे।
- भारत को डर है कि चीन भूटान पर डोकलाम पठार पर पहुंच या नियंत्रण छोड़ने के लिए दबाव डाल सकता है। इससे भारत के सामरिक सिलीगुड़ी कॉरिडोर को खतरा हो सकता है।
- अन्य चुनौतियां:
- उग्रवादी समूह: भारत के उत्तर-पूर्व के विद्रोही समूह, जैसे यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोस (NDFB), भूटान को अपने छिपने के स्थान के रूप में उपयोग करते हैं।
- रुकी हुई परियोजनाएं: पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण भूटान ने BBIN (बांग्लादेश, भूटान, भारत व नेपाल) मोटर वाहन समझौते को रोक दिया है।
निष्कर्ष
भूटान चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ा रहा है, ऐसे में भारत की भागीदारी भूटान की क्षेत्रीय सुरक्षा और स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि दोनों देश उभरती चुनौतियों का समाधान करते हुए एक साथ समृद्ध होते रहें। भारत को निरंतर विकास सहायता के माध्यम से आर्थिक सहयोग बढ़ाने और आपसी सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा, मानवीय संबंधों को बढ़ावा देने वाले शैक्षिक सहयोग तथा गहरी जड़ें जमाए हुए सांस्कृतिक संबंधों की खोज के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाया जा सकता है।