हाल ही में, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन की COP29 प्रेसीडेंसी ने “ऑर्गेनिक अपशिष्ट से मीथेन न्यूनीकरण घोषणा-पत्र” और “किसानों के लिए बाकू हार्मोनिया जलवायु पहल” शुरू की।
- ये घोषणाएं वास्तव में पिछले “पक्षकारों के सम्मेलनों (COPs)” में हुई चर्चाओं का परिणाम हैं। साथ ही, ये घोषणाएं 2021 के COP26 में लॉन्च की गई ग्लोबल मीथेन प्लेज (GMP) को लागू करने का समर्थन करती हैं।
“ऑर्गेनिक अपशिष्ट से मीथेन न्यूनीकरण घोषणा-पत्र” के बारे में:
- इस पर हस्ताक्षर करने वाले देशों ने ऑर्गेनिक अपशिष्ट से मीथेन उत्सर्जन कम करने के लिए अलग-अलग क्षेत्रकों के लिए लक्ष्य तय किए हैं। ये लक्ष्य भविष्य के “राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC)” के तहत प्राप्त किए जाएंगे।
- देशों ने अलग-अलग क्षेत्रकों से मीथेन उत्सर्जन की कमी के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए नीतियों और रोडमैप को लागू करने की प्रतिबद्धताएं भी व्यक्त की हैं।
- गौरतलब है ऑर्गेनिक अपशिष्ट मानवीय गतिविधियों से मीथेन उत्सर्जन का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है। प्रथम दो सबसे बड़े स्रोत कृषि और जीवाश्म ईंधन हैं।
- इस घोषणा-पत्र को संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्यक्रम (UNEP) द्वारा आयोजित जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC) के सहयोग से विकसित किया गया है।
- CCAC एक स्वैच्छिक साझेदारी है। इसकी स्थापना 2012 में हुई थी। इसका उद्देश्य मीथेन, ब्लैक कार्बन, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) और क्षोभमंडलीय ओजोन जैसे अल्पकालिक जलवायु प्रदूषकों (SLCPs) को कम करना है।
- हस्ताक्षरकर्ता: इस घोषणा-पत्र पर 35 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। ये देश ऑर्गेनिक अपशिष्ट से 47% वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। इस घोषणा-पत्र पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किया है।
“किसानों के लिए बाकू हार्मोनिया जलवायु पहल” के बारे में:
- यह एक नया एग्रीगेटर प्लेटफ़ॉर्म है। इसे COP29 अज़रबैजान प्रेसीडेंसी ने संयुक्त राष्ट्र-खाद्य एवं कृषि संगठन (UN-FAO) के साथ मिलकर लॉन्च किया है।
- उद्देश्य: यह पहल किसानों को जलवायु-अनुकूल एग्री-फ़ूड सिस्टम्स में बदलाव का समर्थन करने, निवेश बढ़ाने और किसानों, विशेष रूप से महिलाओं एवं युवाओं को सशक्त बनाने वाले अलग-अलग कार्यक्रमों को जानने में मदद करेगी।
- इसे फूड एंड एग्रीकल्चर फॉर सस्टेनेबल ट्रांसफॉर्मेशन (FAST) साझेदारी के तहत UN-FAO होस्ट करेगा।
- FAST एक बहु-हितधारक प्लेटफॉर्म है। इसे 2022 में आयोजित COP-27 में स्थापित किया गया था। यह सर्वाधिक संकट झेल रहे लोगों के लिए एग्री-फ़ूड सिस्टम्स में जलवायु वित्त-पोषण की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कार्य करता है।