यांत्रिक (मैकेनिकल) क्यूबिट्स क्वांटम एरर की समस्या का हल निकाल सकते हैं। साथ ही, ये मैकेनिकल क्यूबिट्स उन वर्चुअल क्यूबिट्स की कम उपयोग योग्य अवधि संबंधी समस्याओं का भी समाधान कर सकते हैं, जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक्स का उपयोग करके निर्मित किए गए हैं। ज्ञातव्य है कि इन समस्याओं से क्वांटम कंप्यूटर की क्षमता का लाभ उठाने में बाधा उत्पन्न होती है।
- क्वांटम कंप्यूटर द्वारा डेटा को एनकोड करने के लिए क्यूबिट्स (क्वांटम बिट्स) का उपयोग किया जाता है। ये क्यूबिट्स उच्च संवेदनशीलता प्रदर्शित करते हैं। ये गणना संबंधी उन त्रुटियों का कारण बन सकते हैं, जिन्हें क्वांटम एरर्स कहा जाता है।
- पारंपरिक कंप्यूटर द्वारा 0 या 1 का प्रतिनिधित्व करने वाले बिट्स का उपयोग करके जानकारी संग्रहित की जाती है।
- क्वांटम कंप्यूटर्स के आकार में वृद्धि के साथ क्वांटम एरर और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है।
क्वांटम कंप्यूटर के बारे में
- क्वांटम मैकेनिक्स पर आधारित: क्वांटम मैकेनिक्स यह वर्णन करता है कि कैसे उप-परमाणु कण (Subatomic particles) मैक्रोलेवल फिजिक्स से अलग व्यवहार करते हैं।
- क्वांटम मैकेनिक्स यह स्पष्ट करता है कि कैसे अत्यंत छोटे ऑब्जेक्ट्स में एक साथ कण और तरंग (एक डिस्टर्बेंस या भिन्नता जो ऊर्जा को स्थानांतरित करती है) दोनों की विशेषताएं होती हैं। भौतिक विज्ञानी इसे "वेव पार्टिकल डुअलिटी" (Wave Particle Duality) कहते हैं।
- यहां तरंग का तात्पर्य वह विक्षोभ या रूपांतरण है, जो ऊर्जा का स्थानांतरण करता है।
- क्वांटम मैकेनिक्स यह स्पष्ट करता है कि कैसे अत्यंत छोटे ऑब्जेक्ट्स में एक साथ कण और तरंग (एक डिस्टर्बेंस या भिन्नता जो ऊर्जा को स्थानांतरित करती है) दोनों की विशेषताएं होती हैं। भौतिक विज्ञानी इसे "वेव पार्टिकल डुअलिटी" (Wave Particle Duality) कहते हैं।
- यह क्वांटम भौतिकी के निम्नलिखित दो प्रमुख सिद्धांतों का उपयोग करता है:
- सुपरपोज़िशन (अधिस्थापन): इसका आशय यह है कि प्रत्येक क्यूबिट एक ही समय में 1 और 0 दोनों का प्रतिनिधित्व कर सकता है।
- एंटेंगलमेंट: इसका अर्थ यह है कि सुपरपोज़िशन में क्यूबिट एक दूसरे के साथ सहसंबद्ध (Correlated) हो सकते हैं, अर्थात एक की स्थिति (चाहे वह 1 हो या 0 हो) दूसरे की स्थिति पर निर्भर हो सकती है।
भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें
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