एक अध्ययन के अनुसार, भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी की धुरी (एक्सिस) 31.5 इंच तक झुक गई है | Current Affairs | Vision IAS
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    एक अध्ययन के अनुसार, भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी की धुरी (एक्सिस) 31.5 इंच तक झुक गई है

    Posted 28 Nov 2024

    10 min read

    जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा किया गया है कि भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी के घूर्णन ध्रुव (Rotational pole) में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इस प्रकार इस नवीन अध्ययन में पृथ्वी पर मानव गतिविधियों के चलते उत्पन्न प्रभाव को स्पष्ट किया गया है।

    अध्ययन में सामने आए मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

    • 1993 से 2010 के बीच, भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण पृथ्वी का घूर्णन ध्रुव 80 से.मी. पूर्व की ओर खिसक गया है। इसके कारण पृथ्वी का ‘मास डिस्ट्रीव्यूशन’ काफी बदल गया है, जिसके चलते समुद्र के जलस्तर में 0.24 इंच की वृद्धि दर्ज की गई है।
    • इस रिसर्च के मुताबिक, जमीन से बहुत अधिक पानी निकाले जाने और व्यापक पैमाने पर महासागरों में भूजल के पहुँचने से पृथ्वी के घूर्णन अक्ष में यह बदलाव आया है।
      • यह बदलाव 4.36 से.मी. प्रति वर्ष की दर से हुआ है। इस अध्ययन ने पहले के जलवायु मॉडल्स को चुनौती दी है, जिनमें मुख्य रूप से ध्रुवीय हिम चादर के पिघलने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
    • अध्ययन के मुताबिक, जहां एक तरफ विश्व के अधिकांश महासागरों के समुद्री जलस्तर में लगभग 10 मि.मी. की वृद्धि हुई है। वहीं, उत्तर-पश्चिमी भारत और पश्चिमी उत्तरी अमेरिका जैसे क्षेत्रों में भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में समुद्र का जलस्तर कम हुआ है।

    पृथ्वी की गति के बारे में

    • पृथ्वी की गति दो प्रकार की है- घूर्णन और परिक्रमण
    • पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है, जबकि सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्षा में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहा जाता है।
    • पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है, जो इसकी कक्षीय सतह से 66½° का कोण बनाती है।
      • पृथ्वी के अक्ष के झुकाव का प्रभाव:
        • पृथ्वी के घूर्णन के कारण दिन और रात होते हैं, जबकि इसके परिक्रमण के कारण ऋतुएं बदलती हैं।
        • पृथ्वी के अक्ष का झुकाव ऊष्मा वितरण में भिन्नता, मौसम और जलवायु क्षेत्रों आदि के निर्माण के लिए भी जिम्मेदार है।

     

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    • घूर्णन
    • परिक्रमण
    • 66½°
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