मार्च 2014 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को तीन वर्ष तक वाइल्ड पोलियो वायरस के संक्रमण का कोई भी मामला न मिलने, मजबूत निगरानी प्रणाली, तथा पोलियो वायरस के शेष स्टॉक को नष्ट करने जैसे मानदंडों को पूरा करने के आधार पर पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था।
- यह दशकों के समर्पित प्रयासों का परिणाम था। यह भारत की वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) में भागीदारी और सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत राष्ट्रीय टीकाकरण प्रयासों से ही संभव हुआ है।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के बारे में
- यह विश्व के सबसे बड़े लोक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। इसके तहत टीके से रोके जा सकने वाले 12 रोगों के लिए निःशुल्क टीके लगाए जाते हैं।
- 1985 में ‘विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम’ का नाम बदलकर UIP कर दिया गया था। साथ ही, इसकी पहुंच शहरी क्षेत्रों से आगे बढ़ाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों तक भी कर दी गई।
भारत में पोलियो मुक्त स्थिति को बनाए रखने के लिए किए गए निवारक उपाय
- वार्षिक पोलियो अभियान: राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (NID) और उप-राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (SNID) प्रतिवर्ष आयोजित किए जाते हैं। इनका उद्देश्य बच्चों में प्रतिरक्षा प्रणाली के स्तर को उच्च बनाए रखना है और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाए।
- निगरानी और सीमाओं पर टीकाकरण: अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर टीकाकरण से पोलियो प्रभावित क्षेत्रों से भारत में फिर से पोलियो वायरस के प्रवेश के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।
- इनएक्टिव पोलियो वैक्सीन (IPV): इसे 2015 में अपनाया गया था। यह वैक्सीन पोलियो, विशेषकर टाइप-2 पोलियोवायरस के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करती है।
- मिशन इंद्रधनुष: इसे 2014 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य टीकाकरण कवरेज को 90% तक बढ़ाना है। इसके तहत टीकाकरण की निम्न दर वाले दुर्गम क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
पोलियोमाइलाइटिस (पोलियो) के बारे में
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