विश्व मत्स्य पालन दिवस (World Fisheries Day) 2024 की थीम थी: इंडियाज ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन: स्ट्रेंथनिंग स्मॉल-स्केल एंड सस्टेनेबल फिशरीज।
इस दौरान शुरू की गई मुख्य पहलें
- डेटा आधारित नीति-निर्माण के लिए 5वीं मरीन फिशरीज़ गणना।
- संधारणीय शार्क प्रबंधन के लिए शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना।
- श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव के सहयोग से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में अवैध, असूचित और अविनियमित (IUU) मत्स्यन गतिविधियों को रोकने के लिए IUU मत्स्यन पर क्षेत्रीय कार्य योजना को भारत का समर्थन।
- समुद्र में प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन-खाद्य एवं कृषि संगठन (IMO-FAO) की ग्लोलिटर साझेदारी परियोजना।
- समुद्री मत्स्यन हेतु प्रयुक्त होने वाली नौकाओं व पोतों के लिए कम लागत वाले ईंधन को बढ़ावा देने हेतु रेट्रोफिटेड LPG किटों के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं।
- तटीय जलकृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण को सक्षम करने के लिए नवीन सिंगल विंडो सिस्टम।
- केरल को सर्वश्रेष्ठ समुद्री राज्य का पुरस्कार और तेलंगाना को सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय राज्य का पुरस्कार प्रदान किया गया।
मत्स्य पालन क्षेत्रक का महत्त्व
- आजीविका का साधन: यह लगभग 3 करोड़ मछुआरों और मत्स्य कृषकों सहित संबंधित मूल्य श्रृंखला में व्यापक रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
- पोषण युक्त मछली पशु आधारित प्रोटीन का एक सस्ता और समृद्ध स्रोत है। इस कारण यह भुखमरी एवं पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए सबसे स्वस्थ विकल्पों में से एक है।
- आर्थिक संवृद्धि: FAO, 2018 के आंकड़ों के अनुसार मछली उत्पादन भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1% और कृषि के सकल घरेलू उत्पाद में 5% से अधिक का योगदान देता है।
भारत के मत्स्य पालन क्षेत्रक के बारे में
मत्स्य पालन क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई अन्य पहलें
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