यह एटलस ग्लोबल पीटलैंड्स असेसमेंट (2022) पर आधारित है और ग्लोबल पीटलैंड मैप 2.0 के साथ संगत है। ये दोनों संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की वैश्विक पीटलैंड्स पहल की प्रमुख पहलें हैं।
- UNEP वैश्विक पीटलैंड्स पहल: इसका गठन 2016 में मोरक्को के माराकेश में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC)-COP में किया गया था।
पीटलैंड्स (पीटभूमियों) के बारे में
- पीटलैंड्स स्थलीय आर्द्रभूमि पारिस्थितिक-तंत्र हैं। इनमें जलभराव की स्थिति होती है, जो क्षय प्रक्रिया को धीमा कर देती है। इसके कारण पादप सामग्री पूरी तरह से विघटित नहीं हो पाती है। नतीजतन, कार्बनिक पदार्थ का उत्पादन इसके अपघटन से अधिक होता है, जिसके परिणामस्वरूप पीट का शुद्ध संचय होता है।
- पीट, मृत और आंशिक रूप से विघटित पादपों के अवशेष हैं, जो जलभराव की स्थिति में जमा हो जाते हैं।
- वैश्विक स्तर पर पीटलैंड वितरण: पीटलैंड्स विश्व के भूमि क्षेत्र का 3.8% हिस्सा कवर करती हैं।
- इनका विस्तार:
- यूरोप में प्राकृतिक रूप से वनों के भीतर स्थित पीटलैंड्स;
- दक्षिण-पूर्व एशिया में उष्णकटिबंधीय पीट दलदल;
- रूस और कनाडा के पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्र; तथा
- एंडीज और हिमालय में उच्च पर्वतीय पीटलैंड्स।
- विश्व के सबसे बड़ी उष्णकटिबंधीय पीटलैंड्स कांगो बेसिन में स्थित हैं।
- इनका विस्तार:
- पीटलैंड्स का क्षरण: वैश्विक स्तर पर लगभग 12% पीटलैंड्स का क्षरण हो चुका है। भारत में 60% से अधिक पीटलैंड्स का क्षरण हो रहा है।
- खतरा: कृषि कार्य, पीट निष्कर्षण, औद्योगिक गतिविधियां और अवसंरचना का विकास। वर्तमान में सूख चुकी ये पीटलैंड्स सभी मानवजनित ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 4% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
- पीटलैंड्स के संरक्षण के लिए पहलें
- पीटलैंड्स पर वैश्विक कार्रवाई के लिए दिशा-निर्देश (2002);
- पीटलैंड्स के संरक्षण और सतत प्रबंधन पर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UNEA-4) का संकल्प (2019), आदि।
पीटलैंड्स का महत्त्व
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