इस रिपोर्ट का शीर्षक “चार्टिंग न्यू पाथ्स फॉर जेंडर इक्वैलिटी एंड एम्पावरमेंट: एशिया-पैसिफिक रीजनल रिपोर्ट ऑन बीजिंग + 30 रिव्यू” है। इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि भारत ने जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग (GRB) को अपनाकर संसाधनों के प्रभावी आवंटन के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है।
- यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र एशिया-प्रशांत आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) तथा यू.एन. वीमेन द्वारा प्रकाशित की गई है।
जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग (GRB) या जेंडर बजटिंग क्या होती है?
- यह लैंगिक विषय को मुख्यधारा में लाने का एक साधन है। इसके तहत बजट बनाने की संपूर्ण प्रक्रिया में लैंगिक या जेंडर आधारित दृष्टिकोण को शामिल किया जाता है।
- यह कोई अलग बजट नहीं है और न ही यह महिलाओं और पुरुषों पर समान खर्च करने की बात करता है।
- भारत में जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग (GRB)
- उत्पत्ति: इसे 2005-2006 में वित्त मंत्रालय ने शुरू किया था।
- बजट सत्र में सरकार द्वारा जेंडर बजट स्टेटमेंट प्रस्तुत किया जाता है।
- नोडल एजेंसी: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD)।
- इसके निम्नलिखित दो भाग हैं:
- भाग A: इसमें ऐसी योजनाएं शामिल हैं, जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए धन आवंटित करती हैं।
- भाग B: यह बजट का प्रमुख हिस्सा होता है। इसमें ऐसी योजनाएं शामिल होती हैं, जिनमें महिलाओं के लिए कम-से-कम 30% धनराशि आवंटित की जाती है।
- उल्लेखनीय है कि भारत में जेंडर बजटिंग मिशन शक्ति की उप-योजना ‘सामर्थ्य’ के अंतर्गत आती है।
- उत्पत्ति: इसे 2005-2006 में वित्त मंत्रालय ने शुरू किया था।
जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग के कार्यान्वयन में मुख्य चुनौतियां:
- महिलाओं को लाभ पहुंचाने वाले प्रमुख कार्यक्रमों को शामिल न किया जाना;
- जेंडर आधारित डेटा संग्रह में विशेषज्ञता का अभाव है आदि।
जेंडर रिस्पॉन्सिव बजटिंग की दक्षता में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
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