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प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पी.एम.-आशा) {Pradhan Mantri Annadata Aay SanraksHan Abhiyan (PM-AASHA)}

01 Jan 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों और उपभोक्ताओं को अधिक कुशलता से सेवा प्रदान करने के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSS) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) योजना का विलय पी.एम.-आशा में कर दिया है।

उद्देश्य

प्रमुख विशेषताएं

किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना।

 

  • मंत्रालय: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
  • योजना का प्रकार: यह केंद्रीय क्षेत्रक की एक योजना है।
  • आबंटित निधि: 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान 35,000 करोड़ रुपये।
  • पृष्ठभूमि: यह एक अम्ब्रेला योजना है और इसे 2018 में लॉन्च किया गया था।
  • केंद्रीय नोडल एजेंसियां (CNA): केंद्र सरकार राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (NAFED), राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (NCCF) के माध्यम से मूल्य समर्थन योजना के तहत MSP  पर खरीद करने के लिए नकद ऋण सुविधाएं देने हेतु ऋणदाता बैंकों को सरकारी गारंटी प्रदान करती है। 
  • घटक:
    • मूल्य समर्थन योजना (PSS): इसके तहत जब बाजार मूल्य MSP से नीचे गिरता है तो पूर्व-पंजीकृत किसानों से सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अधिसूचित वस्तुओं की खरीद की जाती है।
      • 2024-25 सत्र से अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल जैसी फसलों की खरीद के तहत राष्ट्रीय उत्पादन का 25% कवर किया जाएगा। 
      • हालांकि, 2024-25 में तुअर, उड़द और मसूर पर यह सीमा लागू नहीं होगी, क्योंकि इन फसलों के लिए पहले ही 100% खरीद का निर्णय लिया जा चुका है।
      • इसे संबंधित राज्य सरकार के अनुरोध पर लागू किया जाता है, जो यह सहमति देती है कि खरीदी गई दालों, तिलहनों और नारियल पर मंडी कर नहीं लगेगा। अपनी सहमति देने के बाद राज्य सरकार केंद्रीय नोडल एजेंसियों को लॉजिस्टिक्स सहायता प्रदान करती हैं। 
    • मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF): यह योजना चिन्हित कृषि-बागवानी उत्पादों की खरीद, भंडारण और वितरण के लिए कार्यशील पूंजी और अन्य आकस्मिक व्यय प्रदान करती है।
      • उपभोक्ता मामलों का विभाग (DoCA) कीमतों के MSP से अधिक होने पर NAFED के ई-समृद्धि पोर्टल और NCCF के ई-संयुक्ति पोर्टल के माध्यम से पूर्व-पंजीकृत किसानों से बाजार मूल्य पर दालों की खरीद करता है।
      • PSF योजना के तहत अन्य फसलों जैसे कि टमाटर और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडीयुक्त खुदरा बिक्री में भी हस्तक्षेप किया जाता रहा है।
    • भावांतर भुगतान योजना (PDPS): इसमें तिलहन बेचने वाले पूर्व-पंजीकृत किसानों को MSP और बिक्री/ मॉडल मूल्य के बीच के अंतर का सीधे भुगतान करने की व्यवस्था की गई है।
      • कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा प्रत्येक फसल के लिए उचित औसत गुणवत्ता (FAQ) मानदंड तय/ अनुमोदित किए जाएंगे।
      • अधिसूचित तिलहनों के विकल्प के रूप में PDPS के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को आगे आकर भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राज्य तिलहनों के मौजूदा 25% उत्पादन के कवरेज को बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।
      • किसानों के लाभ के लिए कार्यान्वयन अवधि को 3 महीने से बढ़ाकर 4 महीने किया गया है। 
      • न्यूनतम समर्थन मूल्य और बिक्री/ मॉडल मूल्य के बीच अंतर की क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी, जो MSP के 15% से अधिक नहीं होगी।
    • बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS): MIS का उद्देश्य उन कृषि और बागवानी उत्पादों की खरीद करना है जो शीघ्र नष्ट होने वाली प्रकृति की होती हैं और जिनके लिए MSP की घोषणा नहीं की गई है। इसका लक्ष्य किसानों को उच्च उत्पादन के दौरान कीमतें गिरने पर घाटे पर फसलों की बिक्री करने से बचाना है।
      • सरकार ने कवरेज को उपज के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है और MIS के तहत किसानों के खातों में सीधे मूल्य में अंतर का भुगतान करने का विकल्प जोड़ा है।
      • TOP फसलों के लिए, सरकार NAFED और NCCF के परिवहन और भंडारण लागत को कवर करेगी। इससे किसानों को उचित मूल्य प्राप्त होगा और उपभोक्ताओं को कम कीमत पर उत्पाद प्राप्त होंगे।
  • नोट: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह विकल्प मिलता है कि वे PSS या PDPS में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। यह चयन किसी विशेष तिलहन फसल के लिए किसी दिए गए खरीद सीजन के दौरान पूरे राज्य के लिए किया जाता है। 
  • ई-समृद्धि पोर्टल: यह पोर्टल 2017 में विकसित किया गया था। यह पोर्टल राष्ट्रव्यापी MSP खरीद कार्यक्रम के माध्यम से तिलहन और दलहन में भारत की आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए NAFED के प्रयासों की आधारशिला रहा है। यह प्रगति और दक्षता का प्रतीक है।

 

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