प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
Posted 10 Apr 2025
Updated 13 Apr 2025
19 min read
सुर्ख़ियों में क्यों?
केंद्र सरकार ने एकीकृत "प्रधान मंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना" को 2025-26 यानी 15वें वित्त आयोग की अवधि तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य
विशेषताएं
दलहन, तिलहन और नारियल गिरी (खोपरा) के लिए मूल्य आश्वासन प्रदान करना; किसानों के लिए वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना; फसल कटाई के बादवित्तीय दबाव में की जाने वाली बिक्री की घटनाओं को कम करना तथा दलहन व तिलहन पर ध्यान देते हुए फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना।
इसे वर्ष 2018 में एक अम्ब्रेला योजना के रूप में शुरू किया गया था।
संबंधित मंत्रालय: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
योजना का प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक की योजना
आवंटित निधि: 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपये।
पी.एम. आशा के घटक:
मूल्य समर्थन योजना (PSS): कवर की गई सलें- दलहन, तिलहन और खोपरा (नारियल गिरी) (उचित औसत गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाली फसलें)।
केंद्रीय नोडलखरीद एजेंसियां:
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED), तथा
भारतीय खाद्य निगम (FCI)।
लाभार्थी: पहले से पंजीकृत किसान राज्य एजेंसियों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की सीधी बिक्री कर सकते हैं।
इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
केंद्र सरकार द्वारा ऋणदाता बैंकों को सरकारी गारंटी का प्रावधान: खरीद संबंधी कार्यों को संपन्न करने के लिए केंद्रीय नोडल खरीद एजेंसियों को नकद ऋण सुविधाएं प्रदान करना।
मौजूदा सरकारी गारंटी को नवीनीकृत किया गया है और इसे बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशोंके अनुरोध पर कार्यान्वयन: ये किसानों के हित में मंडी कर से छूट देने के लिए अपनी सहमति प्रदान करते हैं।
खरीद की सीमा: 2024-25 सीज़न के बाद से अधिसूचित फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25% निर्धारित।
2024-25 के लिए प्रमुख अपडेट: केंद्र सरकार ने मूल्य समर्थन योजना के तहत अरहर (तूर), उड़द और मसूर की खरीद को राज्य के उत्पादन के 100% तक करने की अनुमति दी है।
मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF): इसका उद्देश्य कृषि-बागवानी उत्पादों की खरीद और वितरण के लिए कार्यशील पूंजी एवं अन्य आकस्मिक व्यय के लिए धनराशि प्रदान करना है। जैसे- टमाटर तथा भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की खुदरा बिक्री पर सब्सिडी प्रदान करना।
उपभोक्ता कार्य विभाग (DoCA) बाजार मूल्य पर दालों की खरीद तब करेगा, जब कीमतें निम्नलिखित पर MSP से अधिक हो जाएंगी-
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) के ई-समृद्धि पोर्टल पर, और
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) के ई-संयुक्ति पोर्टल पर।
भावांतर भुगतान योजना (PDPS): इसमें वे सभी तिलहन शामिल हैं, जिनके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की जाती है।
किसानों को प्रत्यक्ष भुगतान: केंद्र सरकार MSP और बिक्री/ मॉडल मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान सीधे किसानों को करती है। यह भुगतान MSP मूल्य के 15% तक किया जाता है।
राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सुविधाजनक विकल्प: वे हर वर्ष/ सीजन में तिलहनों के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSS) यामूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS) में से किसी एक को चुन सकते हैं।
लाभार्थी: एक पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से अपने उत्पादन का 40% तक तिलहन बेचने वाले पूर्व-पंजीकृत किसान।
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS): टमाटर, प्याज और आलू (TOP) जैसी खराब होने वाली कृषि/ बागवानी फसलों के मामले में मूल्य अंतराल को कम करने और मूल्य अस्थिरता के प्रभाव से निपटने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई है। हालांकि इन फसलों को MSP के तहत कवर नहीं किया गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
भौतिक खरीद की आवश्यकता नहीं: राज्यों के पास बाजार हस्तक्षेप मूल्य (MIP) और बिक्री मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान करने का विकल्प होता है।
यह फसलों के उत्पादन का 25% तक कवर करेगा और अधिकतम मूल्य अंतराल MIP का लगभग 25% तक होगा।
राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरोध पर कार्यान्वयन: जब फसल का बाजार मूल्य पिछले सीजन से कम-से-कम 10% गिर जाता है, तो राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरोध पर इस योजना को लागू किया जाता है।