इसमें जनसांख्यिकीय रूपांतरण को मानव पूंजी और आरोग्यता के समक्ष चुनौतियों में से एक के रूप में उजागर किया गया है। साथ ही, इसमें बताया गया है कि प्रमुख गैर-संचारी रोगों (NCDs) के निवारण से स्वस्थ दीर्घायु को संभव किया जा सकता है।
- जनसांख्यिकीय रूपांतरण (Demographic transformation) से तात्पर्य है मृत्यु दर, जन्म दर और जनसंख्या वृद्धि के पैटर्न में बदलाव, जो उच्च जन्म/ मृत्यु दर से कम जन्म/ मृत्यु दर में तब्दील हो रही है।
- स्वस्थ दीर्घायु (Healthy longevity) का अर्थ है- जीवन भर रोकथाम योग्य मृत्यु और दिव्यांगता को कम करते हुए वृद्धावस्था में शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक आरोग्यता को बनाए रखना।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- गैर-संचारी रोगों (NDCs) का प्रभाव: जैसे हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर आदि वैश्विक स्तर पर 70% से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
- वर्तमान अनुमानों के आधार पर, इनके चलते कुल मृत्यु दर 61 मिलियन (2023) से बढ़कर 92 मिलियन (2050) हो जाएगी।
- इस रिपोर्ट में भारत से संबंधित मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- बचपन में NDCs: इसके कारण शिक्षा पूरी करने के लगभग 1.2-4.2 वर्ष की हानि हो जाती है।
- चिकित्सा पर अधिक आउट ऑफ़ पॉकेट व्यय: इसमें मुख्य रूप से इलाज हेतु यात्रा पर अधिक खर्ज होता है।
- जीवन प्रत्याशा: सबसे कम शिक्षित वर्ग में 15 वर्ष की आयु पर जीवन प्रत्याशा सबसे कम होती है, क्योंकि 30-69 वर्ष की आयु के बीच गैर-संचारी रोगों (NCDs) से मृत्यु दर अधिक होती है।
स्वस्थ दीर्घायु को बढ़ावा देने के लिए रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें
- NCDs के लिए जीवन पर्यंत दृष्टिकोण: इसके तहत NCDs की रोकथाम और प्रबंधन के साथ-साथ श्रम बाजार, सामाजिक संरक्षण एवं दीर्घकालिक देखभाल जैसे अन्य नीतिगत सुधार किए जाने चाहिए।
- वित्तीय उपायों का लाभ उठाना: इसके लिए लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले उत्पादों जैसे तम्बाकू आदि पर कर को बढ़ाना चाहिए।
NCDs के बारे में
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