जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI), 2025 | Current Affairs | Vision IAS
News Today Logo

साथ ही खबरों में

Posted 21 Nov 2024

34 min read

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI), 2025

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक, 2025 थिंक टैंक जर्मनवॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल ने संयुक्त रूप से जारी किया है।

  • सूचकांक में पहले तीन स्थान पर कोई देश नहीं है। डेनमार्क चौथे स्थान पर है।
  • सूचकांक में भारत 10वें स्थान पर है।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक के बारे में

  • यह सूचकांक विश्व के सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जकों की वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीति के मामले में प्रगति को ट्रैक करता है।
  • इसमें 63 देशों और यूरोपीय संघ की रैंकिंग की जाती है।
  • Tags :
  • जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक
  • CCPI
  • वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (GHG)
  • न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट
  • जर्मनवॉच

भू-नीर पोर्टल (Bhu-Neer Portal)

हाल ही में, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भारत जल सप्ताह 2024 के दौरान “भू-नीर” पोर्टल लॉन्च किया। 

भू-नीर पोर्टल के बारे में 

  • उद्देश्य: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भूजल संसाधनों के प्रबंधन एवं विनियमन के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करना।
  • इसे केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से विकसित किया है।
    • CGWA का गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत किया गया है। इसका उद्देश्य देश में भूजल संसाधनों के विकास और प्रबंधन को विनियमित व नियंत्रित करना है।
  • Tags :
  • भू-नीर पोर्टल
  • Bhu-Neer Portal
  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय
  • केंद्रीय भूजल प्राधिकरण
  • CGWA

शीतलहर (Cold Waves)

हाल ही में, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) ने शीतलहर पर कुछ राज्यों को सलाह जारी की। 

  • NPCCHH केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत कार्य करता है। 

शीतलहर के बारे में

  • यह एक प्रकार की मौसमी परिघटना है। यह पृथ्वी से कम ऊंचाई पर वायुमंडल में बहुत ही कम तापमान के कारण उत्पन्न होती है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने निम्नलिखित स्थितियों को शीतलहर के रूप में वर्गीकृत किया है:
    • मैदानी क्षेत्र में न्यूनतम तापमान 10°C से कम या इसके बराबर होना;
    • पहाड़ी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान 0°C से कम या इसके बराबर होना।
  • प्रभाव: 
    • शीतदंश (फ्रॉस्टबाइट) या अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ना; 
    • हीटर जैसे उपकरणों या अन्य हीटिंग साधनों की वजह से खर्चे बढ़ना; 
    • गरीबों का अधिक प्रभावित होना, आदि।
  • Tags :
  • शीतलहर
  • Cold Waves
  • राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम
  • NPCCHH
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)

बम साइक्लोन

हाल ही में, उत्तर-पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी कनाडा में बम साइक्लोन ने दस्तक दी है। 

बम साइक्लोन के बारे में 

  • इसे बमजेनेसिस भी कहा जाता है। यह मध्य अक्षांशीय चक्रवात और कम दबाव वाला क्षेत्र है। यह 24 घंटे की अवधि में तेज़ी से प्रबल हो जाता है।
    • 24 घंटे में इसके केंद्र में वायुदाब में कम-से-कम 24 मिलीबार तक की गिरावट दर्ज की जाती है।
  • इनमें से अधिकतर चक्रवात समुद्र के ऊपर उत्पन्न होते हैं। ये उष्णकटिबंधीय या गैर-उष्णकटिबंधीय चक्रवात हो सकते हैं।
  • ये चक्रवात आमतौर पर ब्लिजार्ड से लेकर प्रबल झंझावात और भारी वर्षा के साथ आगे बढ़ते हैं।
  • Tags :
  • बम साइक्लोन
  • मध्य अक्षांशीय चक्रवात
  • ब्लिजार्ड

AI डेटा बैंक

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेटा बैंक लॉन्च किया।

AI डेटा बैंक के बारे में

  • उद्देश्य: यह शोधकर्ताओं, स्टार्ट-अप्स और डेवलपर्स को उच्च-गुणवत्ता वाले विविध डेटासेट प्रदान करेगा। इससे व्यापक और समावेशी AI समाधान के विकास में मदद मिलेगी।
  • यह सैटेलाइट, ड्रोन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) से प्राप्त डेटा का रियल-टाइम विश्लेषण प्रदान करेगा। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
  • यह डेटा बैंक आपदा प्रबंधन और साइबर सुरक्षा के पूर्वानुमान हेतु डेटा विश्लेषण में AI का उपयोग करने के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • Tags :
  • AI डेटा बैंक
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT)
  • स्टार्ट-अप्स

GQ-RCP प्लेटफॉर्म

शोधकर्ताओं ने HIV का बेहतर तरीके से पता लगाने के लिए एक  नवीन तकनीक विकसित की है। इसके लिए जी-क्वाड्रप्लेक्स (GQ) टोपोलॉजी-टारगेटेड रिलायबल कंफॉर्मेशनल पॉलीमोर्फिज्म (GQ-RCP) प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया है। 

  • ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस टाइप-1 (HIV-1) एक रेट्रोवायरस है। यह एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशियेंसी सिंड्रोम (AIDS/ एड्स) बीमारी के लिए उत्तरदायी है।

GQ-RCP प्लेटफॉर्म के बारे में

  • विकासकर्ता: इसे जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरु ने विकसित किया है।
  • इस प्लेटफॉर्म को बैक्टीरिया और वायरस सहित अलग-अलग डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (डी.एन.ए.)/ राइबोन्यूक्लिक एसिड (आर.एन.ए.) आधारित रोगजनकों का पता लगाने के लिए अपनाया जा सकता है।
  • यह एक फ्लोरोमेट्रिक जांच विधि है।
    • फ्लोरोमेट्री को उत्सर्जित प्रतिदीप्ति (Fluorescence) प्रकाश की माप के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रतिदीप्ति, विकिरण को अवशोषित करने के बाद दृश्य प्रकाश छोड़ने की कुछ रसायनों की क्षमता होती है।
  • Tags :
  • GQ-RCP प्लेटफॉर्म
  • जी-क्वाड्रप्लेक्स (GQ)
  • HIV-1
  • एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशियेंसी सिंड्रोम (AIDS/ एड्स)
  • HIV

डॉप्लर रडार

हाल ही में, उपभोक्ता कार्य विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी (सामान्य) नियम, 2011 के तहत वाहनों की गति मापने के लिए माइक्रोवेव डॉप्लर रडार उपकरण हेतु मसौदा नियम जारी किए।

डॉप्लर रडार के बारे में

  • यह रडार के सबसे महत्वपूर्ण प्रकारों में से एक है। यह रडार किसी ऑब्जेक्ट की अवस्थिति, गति और दूरी को निर्धारित करने के लिए डॉप्लर प्रभाव का उपयोग करता है।
    • डॉप्लर प्रभाव स्रोत और प्रेक्षक के बीच सापेक्ष गति के दौरान तरंग आवृत्ति में होने वाले परिवर्तन को व्यक्त करता है।
  • उपयोग: मौसम विज्ञान (मौसम पैटर्न को ट्रैक करना); विमानन (हवाई यातायात को ट्रैक करना); सैन्य (विमानों और मिसाइलों को ट्रैक करना), आदि।
  • Tags :
  • डॉप्लर रडार
  • उपभोक्ता कार्य विभाग ने लीगल मेट्रोलॉजी
  • माइक्रोवेव डॉप्लर रडार
  • डॉप्लर प्रभाव

एंटीबायोटिक्स

हाल ही में, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने प्रतिरोधी संक्रमणों के लिए पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक "नेफिथ्रोमाइसिन" लॉन्च किया।

एंटीबायोटिक्स के बारे में

  • ये वे रासायनिक पदार्थ हैं, जो कृत्रिम रूप से और कुछ सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पादित होते हैं। इनका रोग पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को मारने या उनकी वृद्धि को रोकने के लिए दवाओं के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • मनुष्यों और पशुओं के लिए इनकी विषाक्तता कम होती है। पशुओं में सूक्ष्मजीवी संक्रमण की जांच के लिए इसे पशुओं के चारे के साथ मिलाया जाता है।
  • वे बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के विरुद्ध काम करते हैं, न कि वायरल संक्रमण (जैसे सामान्य सर्दी, फ्लू) के खिलाफ।
    • वायरस में वह कोशिका भित्ति नहीं होती, जिस पर एंटीबायोटिक्स द्वारा हमला किया जाता है। इस कारण एंटीबायोटिक्स का वायरस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  • कुछ एंटीबायोटिक्स के उदाहरण: स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन, एरिथ्रोमाइसिन आदि।
  • Tags :
  • एंटीबायोटिक्स
  • नेफिथ्रोमाइसिन
  • सूक्ष्मजीवी संक्रमण
Watch News Today
Subscribe for Premium Features