यूनिसेफ ने अपनी इस फ़्लैगशिप रिपोर्ट में जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु संकट और फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज नामक तीन वैश्विक मेगाट्रेंड्स को रेखांकित किया है। ये मेगाट्रेंडस समाज में कई प्रभाव पैदा कर सकते हैं, जिनसे असमानता, प्रवासन और शहरीकरण की दशा व दिशा प्रभावित होंगी।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- जनसांख्यिकीय बदलाव: विश्व में बच्चों की जनसंख्या 2050 तक लगभग 2.3 बिलियन पर पहुंचकर स्थिर हो जाने का अनुमान है।
- भारत में 2050 तक बच्चों की संख्या 350 मिलियन होगी। यह विश्व में बच्चों की संख्या का 15% होगी।
- जलवायु जोखिम: दुनिया के लगभग आधे बच्चे यानी 1 बिलियन बच्चे ऐसे देशों में रहते हैं, जो जलवायु और पर्यावरण से जुड़े अधिक खतरों का सामना कर रहे हैं।
- यूनिसेफ के “बाल जलवायु जोखिम सूचकांक 2021” में भारत 26वें स्थान पर था। सूचकांक के अनुसार बच्चे जलवायु के अधिक खतरों का सामना कर रहे हैं।
- फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी फ्रंटियर टेक्नोलॉजीज का सभी तक लाभ पहुंचाने में डिजिटल डिवाइड बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
- उच्च आय वाले देशों में 95% से अधिक लोग इंटरनेट से जुड़े हुए हैं, वहीं कम आय वाले देशों में केवल 26% लोग ही इंटरनेट से कनेक्टेड हैं।
रिपोर्ट में की गई प्रमुख सिफारिशें:
- योजना: जलवायु संकटों से निपटने की रणनीतियों को स्थानीय योजना निर्माण और अवसरंचनाओं से एकीकृत करना चाहिए। इनमें स्कूल, स्वास्थ्य देखभाल सेवा जैसी अवसंरचनात्मक प्रणालियां शामिल हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा: नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाना चाहिए और 2030 तक उत्सर्जन में 43% की कटौती करने के लिए समाधानों को बढ़ावा देना चाहिए।
- नीतिगत सुधार: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाने चाहिए। इन कानूनों में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से जुड़े अपराध को शामिल करना, प्रौद्योगिकी विकास के लिए नैतिक दिशा-निर्देश अपनाना, आदि शामिल होने चाहिए।