ग्रीन डिजिटल एक्शन (GDA) को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा अन्य सरकारी और नागरिक समाज संगठनों के साथ CoP-28 (दुबई, 2023) में लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य व्यावहारिक समाधान विकसित करने, उद्योगव्यापी जलवायु समर्थन को बढ़ावा देने तथा निगरानी और रिपोर्टिंग के लिए ढांचे को मजबूत करने में वैश्विक डिजिटल समुदाय को एकजुट करना है।
घोषणा-पत्र के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना: जलवायु कार्रवाई का समर्थन करना और प्रतिरोधक डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण करना।
- जलवायु पर डिजिटलीकरण के प्रभाव को कम करना: जलवायु पर डिजिटलीकरण के प्रभाव को मापने के लिए मैट्रिक्स एवं इंडीकेटर्स स्थापित करना।
- सतत नवाचार को बढ़ावा देना: इसके लिए हमें निवेश को सुविधाजनक बनाना होगा; बौद्धिक संपदा अधिकारों का संरक्षण करना होगा; नवीन प्रौद्योगिकियों तक सभी की सुगम पहुंच को सुनिश्चित करना होगा; आदि।
- अन्य: डिजिटल समावेशन, साक्षरता, डेटा आधारित निर्णय लेने को बढ़ावा देना इत्यादि।
सतत विकास में डिजिटल प्रौद्योगिकियों का महत्त्व
- सूचना के आधार पर निर्णय लेना: डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके ऊर्जा खपत को संधारणीय विनिर्माण प्रक्रियाओं का समर्थन करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
- संधारणीय डिजाइन दृष्टिकोण को अपनाना: ये प्रौद्योगिकियां जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए टेक-मेक-डिस्पोज की बजाय सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल पर जोर देती हैं।
- ओपन डेटा सोर्स को बढ़ावा देना: आसानी से सुलभ होने वाले सूचना स्त्रोत तथा नई और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की ओर नवाचार को बढ़ावा देती हैं। उदाहरण के लिए, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्टर (DPI) आदि।
- आपदा प्रबंधन में भूमिका: आरंभिक चेतावनी प्रणाली, आरंभिक संचार, तथा खोज एवं बचाव कार्य आदि सहित जलवायु निगरानी एवं पूर्वानुमान को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।