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देश भर में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है

Posted 29 Nov 2024

14 min read

जनजातीय गौरव दिवस प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता है। 

  • यह दिवस भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के योगदान और भारत की विरासत को संरक्षित करने में उनकी भूमिका का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।

विरासत संरक्षण में आदिवासियों की भूमिका

सांस्कृतिक विरासत 

  • मौखिक परंपराएं और कहानी सुनाना: उदाहरण के लिए- "यू सीयर लापालांग" (द स्टैग ऑफ लापालांग) की कहानी खासी और पनार जनजातियों के बीच एक प्रसिद्ध लोककथा है। यह कहानी मानव और प्रकृति के बीच गहरे संबंध तथा प्रकृति के प्रति आदिवासियों की श्रद्धा को उजागर करती है।
  • विविध अनुष्ठानों, त्यौहारों और समारोहों के वाहक: उदाहरण के लिए- नागाओं के बीच हॉर्नबिल महोत्सव का उद्देश्य नागालैंड की अनूठी सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध परंपराओं का संरक्षण करना है। 
  • पारंपरिक शिल्प और कला रूप: उदाहरण के लिए- वरली जनजातियों द्वारा बनाई गई वरली चित्रकारियां मानव और प्रकृति के बीच गहरे संबंध को दर्शाती हैं। 
  • पारंपरिक चिकित्सा: उदाहरण के लिए- आदिवासी लोगों को अलग-अलग पादपों के औषधीय गुणों के बारे में काफी जानकारी होती है। इस जानकारी का इस्तेमाल वे लोग हड्डी टूटने, सांप के काटने, मांसपेशियों में दर्द, बुखार, सिरदर्द और शरीर की सूजन आदि के इलाज के लिए करते है।

जैव विविधता संरक्षण 

  • संरक्षित क्षेत्रों का संरक्षण: उदाहरण के लिए, बिलिगिरि रंगास्वामी मंदिर (BRT) वन्यजीव अभयारण्य (कर्नाटक) में सोलिगस जनजातियां वन पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करती हैं।
  • पवित्र प्राकृतिक स्थल: जादुई-धार्मिक विश्वास के कारण आदिवासियों द्वारा पेड़-पौधों को उनके प्राकृतिक पर्यावास में संरक्षित किया जाता है, क्योंकि वे उन्हें देवी-देवताओं, या पूर्वजों का निवास स्थान मानते हैं। उदाहरण के लिए- खासी जनजाति द्वारा मावफलांग पवित्र वन को 800 वर्षों से संरक्षित किया जा रहा है। खासी लोग इस जगह को देवता लाबासा का निवास स्थान मानते हैं। 
  • वन्यजीव संरक्षण प्रथाएं: उदाहरण के लिए बिश्नोई समुदाय के लोग काले हिरण, चिंकारा जैसे जीवों की रक्षा करते हैं।

भारत सरकार द्वारा शुरू की गई पहलें

  • जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs) को समर्थन: इसके तहत जनजातीय भाषाओं, परंपराओं और औषधीय प्रथाओं पर अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ट्राइफेड/ TRIFED): यह संस्था जनजातीय उत्पादों के लिए विपणन सेवाएं प्रदान करती है।
  • प्रधान मंत्री वन धन योजना: इसका उद्देश्य जनजातीय ज्ञान को एक व्यवहार्य आर्थिक गतिविधि में बदलना है। इसके लिए प्रौद्योगिकी उपायों और आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान एवं कौशल का उपयोग किया जा रहा है।
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