यह विश्व भर में वेतन की प्रवृत्तियों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। साथ ही, वेतन संबंधी असमानता और वास्तविक वेतन वृद्धि में परिवर्तन को भी उजागर करती है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- वेतन वृद्धि संबंधी रुझान
- वैश्विक स्तर पर: 2022 में गिरावट के बाद, 2023 में वैश्विक वास्तविक वेतन वृद्धि बहाल हुई है।
- क्षेत्रीय स्तर पर: शेष विश्व की तुलना में एशिया व प्रशांत, मध्य और पश्चिमी एशिया तथा पूर्वी यूरोप में औसत वेतन तेजी से बढ़ रहा है।
- लगभग 9.5% भारतीय कामगार कम वेतन पाने वाले कामगार हैं।
- श्रम संबंधी आय असमानता के रुझान
- वेतन असमानता: कुल मिलाकर वैश्विक स्तर पर इसमें गिरावट का रुझान देखा गया है।
- हालांकि, यह निम्न आय वाले देशों में सबसे अधिक है और उच्च आय वाले देशों में सबसे कम है।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था: वेतन वितरण के निचले स्तर पर महिलाओं और श्रमिकों का प्रतिनिधित्व अधिक है।
- औपचारिक रोजगार के अवसर पर्याप्त रूप से न बढ़ने के कारण अनौपचारिक रोजगार में निरपेक्ष रूप से वृद्धि हुई है।
- वेतन असमानता: कुल मिलाकर वैश्विक स्तर पर इसमें गिरावट का रुझान देखा गया है।
- श्रम उत्पादकता (1999-2024): उच्च आय वाले देशों में यह वास्तविक वेतन की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है।
आगे की राह
- अनुसंधान में वृद्धि: असमानता में परिवर्तन को मापने और उसका अनुमान लगाने के लिए बेहतर डेटा एवं सांख्यिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
- वेतन में असमानता को कम करने के लिए राष्ट्रीय रणनीतियां: वेतन को आर्थिक कारकों के साथ-साथ कामगारों और उनके परिवारों की जरूरतों को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाना चाहिए। साथ ही, वेतन संबंधी मानक लैंगिक समानता, समता और गैर-भेदभाव को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए।
- कर और सामाजिक हस्तांतरण के माध्यम से आय का पुनर्वितरण: इसे ऐसी नीतियों के साथ लागू किया जाना चाहिए जो उत्पादकता, गरिमापूर्ण कार्य और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने को बढ़ावा देती हो।
क्या आप जानते हैं?पाल्मा अनुपात असमानता मापने का एक तरीका है। इसमें वेतन के मामले में शीर्ष पायदान पर मौजूद 10% आबादी के प्रति घंटा कुल वेतन को निचले पायदान पर मौजूद 40% आबादी के प्रति घंटा कुल वेतन से विभाजित किया जाता है। |