RBI की इस रिपोर्ट में नगर निगमों (MCs) के बजटीय डेटा का विश्लेषण किया गया है। साथ ही, रिपोर्ट में इन निकायों के लिए अवसरों और चुनौतियों की पहचान भी की गई है। इसके अलावा, उनकी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने के उपाय भी सुझाए गए हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- कम राजस्व संग्रह: 2023-24 में देश के नगर निगमों का कुल राजस्व संग्रह देश के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.6% था। इसकी तुलना में केंद्र सरकार का राजस्व संग्रह 9.2% और राज्य सरकारों का 14.6% था।
- केंद्र और संबंधित राज्य से वित्त-पोषण पर अधिक निर्भरता: नगर निगम केंद्र व संबंधित राज्य से फंड ट्रांसफर पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं। 2022-23 में केंद्र एवं राज्य सरकारों से इन्हें मिलने वाले अनुदान में क्रमशः 24.9% तथा 20.4% की वृद्धि दर्ज की गई थी।
- नगरपालिका के उधार में वृद्धि: यह 2019-20 के 2,886 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 13,364 करोड़ हो गया।
- नगरपालिका बॉण्ड: इनका कुल मूल्य 4,204 करोड़ रुपये है। यह मूल्य कॉर्पोरेट बॉण्ड का 0.09% है। अधिकांश नगरपालिका बॉण्ड धारक निजी निवेशक और संस्थाएं हैं।
नगरपालिका वित्त की चुनौतियां:
- विकसित देशों की नगरपालिकाओं की तुलना में इनका राजस्व कम है।
- भारत में नगरपालिका बॉण्ड बाजार परिपक्व नहीं है।
- आर्थिक स्थिति में बदलाव के साथ इनकी कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं हुआ है।
नगरपालिका वित्त में सुधार हेतु मुख्य सिफारिशें
- राजस्व के स्रोतों को बढ़ाना: GIS मैपिंग के उपयोग द्वारा संपत्ति कर में सुधार किया जाना चाहिए, यूजर्स शुल्क को कम करना चाहिए आदि।
- राज्य सरकारों से फंड ट्रांसफर: राज्य वित्त आयोगों द्वारा नगरपालिकाओं को समय पर और निर्धारित फंड ट्रांसफर करने की सिफारिश करनी चाहिए।
- संसाधनों के उपयोग में दक्षता बढ़ाना: डिजिटलीकरण, शहरी परिवहन में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, अपशिष्ट प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर दक्षता बढ़ाई जा सकती है।
- वित्त-पोषण के नए तरीकों को खोजना: लघु आकार के नगर निगमों को नगर निगम बॉण्ड, ग्रीन बॉण्ड आदि जारी करने की संभावना तलाशनी चाहिए।
- वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा: ‘राष्ट्रीय नगर-निगम लेखा मैनुअल’ जैसी प्रणालियों को अपनाना चाहिए।
शहरी स्थानीय निकायों के राजस्व-स्रोत
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