सुप्रीम कोर्ट के अनुसार प्रज्वला बनाम भारत संघ (2015) मामले में केंद्र सरकार द्वारा मानव तस्करी (विशेष रूप से यौन तस्करी) पर अंकुश लगाने के लिए की गई प्रतिबद्धताएं पूरी नहीं की गई हैं।
केंद्र सरकार द्वारा की गई मुख्य प्रतिबद्धताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- संगठित अपराध जांच एजेंसी (Organised Crime Investigative Agency: OCIA) की स्थापना करना;
- मानव तस्करी के मामले से निपटने के लिए एक व्यापक कानून तैयार करने हेतु महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा।
- इस कानून में तस्करी को रोकना, पीड़ितों का बचाव एवं संरक्षण करना तथा उनके पुनर्वास की व्यवस्था को शामिल किया जाना था।
सुप्रीम कोर्ट की अन्य महत्वपूर्ण टिप्पणियां
- विधायी निष्क्रियता: मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक, 2018 लोक सभा में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन बाद में यह समाप्त (lapsed) हो गया।
- NIA अधिनियम, 2008 में 2019 में किए गए संशोधनों की सीमाएं: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) अधिनियम में 2019 में किए गए संशोधनों ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी को मानव तस्करी के मामलों की जांच करने का अधिकार दिया है।
- न्यायालय ने कहा कि NIA अपराधियों पर मुकदमा चला सकती है, लेकिन पीड़ितों की सुरक्षा या पुनर्वास पर ध्यान नहीं देती है।
भारत में मानव तस्करी की स्थिति
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार 2018 से 2022 तक 10 हजार से अधिक मानव तस्करी के मामले सामने आए हैं।
- मानव तस्करी के तहत सर्वाधिक यौन तस्करी होती है।
- 2018 तक के आकड़ों के अनुसार इसे हथियारों और मादक पदार्थों की तस्करी के बाद संगठित अपराध के लिए लाभ का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत माना गया है।
भारत में मानव तस्करी से निपटने के लिए उठाए गए कदम
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