यह रिपोर्ट इंटरनेशनल क्रायोस्फीयर क्लाइमेट इनिशिएटिव (ICCI) द्वारा समन्वित है।
क्रायोस्फीयर (हिमांक-मंडल) के बारे में
- क्रायोस्फीयर पृथ्वी के जमे हुए हिस्से को कहते हैं। इन हिस्सों में महाद्वीपीय बर्फ की चादरें, आइस कैप, ग्लेशियर, बर्फ, पानी में पाई जाने वाली हिम, जमी हुई नदियां व झीलें, पर्माफ्रॉस्ट आदि शामिल हैं। वर्ष में अधिकांश समय के लिए यहां का तापमान 0°C से नीचे होता है। उदाहरण के लिए ग्रीनलैंड, आर्कटिक, अंटार्कटिका, हिंदू कुश हिमालय आदि।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
- बर्फ की चादरों का तेजी से पिघलना: ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर में इस समय हर घंटे 30 मिलियन टन बर्फ पिघल रही है। इसके अलावा, उत्तरी ग्रीनलैंड में 1978 से अब तक आइस सेल्फ के कुल आयतन का 35% लुप्त हो चुका है।
- समुद्र जलस्तर में वृद्धि: वैश्विक समुद्र-जलस्तर में वृद्धि की दर पिछले 30 वर्षों में दोगुनी हो गई है। वर्तमान रुझानों के अनुसार 2050 तक यह बढ़कर 6.5 मिमी प्रति वर्ष हो जाएगी।
- पिघलते ग्लेशियर: वर्तमान में स्लोवेनिया के बाद वेनेजुएला में भी लगभग सभी ग्लेशियर लुप्त हो चुके हैं।
क्रायोस्फीयर का वैश्विक जलवायु पर प्रभाव
- अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) के कमजोर होने और अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट (ACC) के धीमे होने से वैश्विक महासागरीय परिसंचरण प्रभावित हो रहा है।
- पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने में वृद्धि से स्थानीय क्षति हो सकती है और इनका वैश्विक पुनःपूर्ति चक्र का संतुलन बिगड़ सकता है।
- पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने का अर्थ है पर्माफ्रॉस्ट के अंदर की बर्फ का पिघलना तथा पीछे पानी और मिट्टी का रह जाना।
- समुद्री बर्फ की परावर्तक क्षमता कम हो जाती है। इससे दोनों ध्रुवों पर अधिक गर्मी पड़ने लगती है तथा CO2 उत्सर्जन एवं ओजोन परत का क्षरण बढ़ जाता है।
- हिमनदीय झील के टूटने से उत्पन्न बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood: GLOF) से विनाशकारी बाढ़ पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है।
क्रायोस्फीयर के संरक्षण के लिए शुरू की गई पहलें
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