भारतीय प्रधान मंत्री ने इस अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं हमें करुणा, दया और विनम्रता की भावना को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करती हैं।
- गुरु नानक जयंती प्रथम सिख गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्म का प्रतीक है। उन्होंने ही सिख धर्म की नींव रखी थी।
श्री गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएं
- 'इक ओंकार': इसका अर्थ है 'एक ईश्वर' जो अपनी प्रत्येक रचना में निवास करता है और परम सत्य का सृजन करता है।
- सत्यवादिता: सत्यनिष्ठापूर्ण जीवन पर जोर दिया और सत्य को जीवन का सर्वोच्च मूल्य बताया।
- सामाजिक असमानता: सामाजिक असमानता का निरंतर विरोध किया और जाति व्यवस्था की आलोचना की।
- धन के साधन के रूप में धर्म: उन्होंने लोगों को सचेत किया कि वे भौतिक संपत्ति को एकत्र करने के लिए धर्म का उपयोग न करें।
आधुनिक समय में उनकी शिक्षाओं की प्रासंगिकता
- समानता और भाईचारे पर जोर: उनके इन सिद्धांतों पर अमल करने से समाज में वर्तमान में बढ़ रहे लैंगिक और जातिगत भेदभाव तथा दुनिया भर में बढ़ते संघर्ष एवं युद्ध का समाधान संभव है।
- वंड छको (जो आपके पास है उसे बाँटें): इससे ‘संपन्न और वंचित’ के बीच बढ़ती असमानता को कम किया जा सकता है।
- किरत करो (अपना धन उचित और ईमानदारी से कमाओ): इससे भ्रष्टाचार में कमी आ सकती है।
- सरबत दा भला (सभी का कल्याण): उनकी यह शिक्षा जलवायु परिवर्तन से निपटने और पारिस्थितिक न्याय को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
गुरु नानक देव जी (1469-1539) के बारे में
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