बाल विवाह की समाप्ति पर केंद्रित “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा अन्य कई मंत्रालयों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है। इस अभियान में सभी नागरिकों से सक्रिय रूप से आगे बढ़कर बाल विवाह का विरोध करने का आह्वान किया गया है।
“बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान के बारे में
- फोकस के क्षेत्र: इस अभियान के तहत सर्वाधिक बाल विवाह वाले सात राज्यों और लगभग 300 जिलों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
- सहयोगात्मक दृष्टिकोण: प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से 2029 तक बाल विवाह की दर को 5% से कम करने के उद्देश्य से एक एक्शन प्लान तैयार करने का आह्वान किया गया है।
- बाल विवाह मुक्त भारत पोर्टल: यह एक इनोवेटिव ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है, जिसकी मदद से नागरिक बाल विवाह की घटनाओं की रिपोर्ट और शिकायत दर्ज करा सकते हैं। साथ ही, इस ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म की मदद से आम नागरिक देश भर में बाल विवाह रोकथाम अधिकारियों (CMPOs) के बारे में जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं।
भारत में बाल विवाह की स्थिति
- बाल विवाह में कमी: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी NFHS-5 के आंकड़े बताते हैं कि भारत में बाल विवाह में उल्लेखनीय कमी आई है। 2005-06 में 47.4% लड़कियों का विवाह 18 साल से पहले हो जाता था, जो 2015-16 में घटकर 26.8% पर आ गया।
- गरीबी और बाल विवाह: NFHS-5 के अनुसार, निम्नतम आय वर्ग यानी सबसे गरीब 20% परिवारों में 40% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, जबकि उच्चतम आय वर्ग यानी सबसे अमीर 20% परिवारों में यह आंकड़ा केवल 8% है।
- सर्वाधिक बाल विवाह वाले राज्य: पश्चिम बंगाल, बिहार, त्रिपुरा, झारखंड, असम, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना।

बाल विवाह को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 (PCMA): इस कानून के जरिए बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके तहत महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष निर्धारित की गई है।
- बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन: भारत इस कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्ता देश है।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR): यह अपने मूल कार्यों के साथ-साथ बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाता है।