भारत और ADB ने 98 मिलियन डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत बागवानी के लिए CPP को प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु विनियामक फ्रेमवर्क और संस्थागत प्रणालियां विकसित की जाएंगी।
स्वच्छ पौध कार्यक्रम (CPP) के बारे में
- उत्पत्ति: इस कार्यक्रम की शुरुआत एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के तहत की गई है।
- MIDH बागवानी क्षेत्रक के समग्र विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसमें फलों, सब्जियों, जड़ व कंद फसलों आदि को शामिल किया गया है।
- उद्देश्य: फसल की पैदावार में वृद्धि करने के उद्देश्य से किसानों को वायरस-मुक्त व उच्च गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री तक पहुंच प्रदान करना।
- प्रमुख घटक:
- 9 विश्व स्तरीय अत्याधुनिक स्वच्छ पौध केंद्र (CPCs) स्थापित किए जा रहे हैं। ये केंद्र उन्नत नैदानिक चिकित्सा विज्ञान और टिशू कल्चर प्रयोगशालाओं से सुसज्जित होंगे।
- बीज अधिनियम, 1966 के तहत विनियामक फ्रेमवर्क द्वारा समर्थित एक प्रमाणन प्रणाली बनाई गई है।
- अवसंरचना विकास के रूप में बड़े पैमाने पर नर्सरी विकास के लिए समर्थन प्रदान किया जाएगा।
- कार्यान्वयन एजेंसियां: इसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के माध्यम से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा लागू किया जा रहा है।
- इसे ADB की 50% सहायता से 2024-30 तक लागू किया जाएगा।
बागवानी क्षेत्रक के लिए अन्य प्रमुख पहलें
- भू-सूचना विज्ञान का उपयोग करके बागवानी मूल्यांकन और प्रबंधन पर समन्वित कार्यक्रम (चमन/ CHAMAN): इसका उद्देश्य बागवानी फसलों के अधीन क्षेत्र और उत्पादन के आकलन हेतु वैज्ञानिक पद्धति विकसित करना तथा मजबूत करना है।
- किसान रेल सर्विस: इसका संचालन फलों और सब्जियों सहित जल्दी खराब होने वाली जिंसों के परिवहन के लिए किया जा रहा है।
- पूंजी निवेश सब्सिडी योजना: इसे राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने शुरू किया है।
भारत का बागवानी क्षेत्रक एक नजर में
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