कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोजगार के प्रति भारत का दृष्टिकोण (India’s Approach to AI and Employment) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोजगार के प्रति भारत का दृष्टिकोण (India’s Approach to AI and Employment)

    Posted 12 Nov 2025

    Updated 16 Nov 2025

    1 min read

    Article Summary

    Article Summary

    नीति आयोग की दो रिपोर्टों में अनौपचारिक श्रमिकों में बदलाव लाने, एआई प्रतिभा को बनाए रखने और एआई व्यवधान के बीच समावेशी विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है, ताकि भारत को वैश्विक एआई नेता के रूप में स्थापित किया जा सके और जोखिमों को कम किया जा सके।

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, नीति आयोग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और रोजगार से संबंधित दो रिपोर्टें जारी की हैं।

    नीति आयोग की रिपोर्ट के बारे में

    • "AI अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन हेतु रोडमैप": यह रिपोर्ट भारत की रणनीतिक योजना को दर्शाती है ताकि AI से उत्पन्न व्यवधानों का सामना करते हुए देश को वैश्विक AI वर्कफोर्स कैपिटल के रूप में स्थापित किया जा सके। यह AI के लिए 3W फ्रेमवर्क और उससे जुड़े प्रभावों पर प्रकाश डालती है (इन्फोग्राफिक्स देखें)।
    • "समावेशी सामाजिक विकास के लिए AI पर रोडमैप": इस रिपोर्ट का उद्देश्य अग्रणी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अनौपचारिक श्रमिकों को एक औपचारिक, सशक्त और भविष्य के लिए तैयार कार्यबल में परिवर्तित करना है।
    • AI द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती एवं अवसर प्रस्तुत करना: यह पारंपरिक औपचारिक नौकरियों को प्रभावित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह भारत के विशाल अनौपचारिक कार्यबल को औपचारिक बनाने और उसकी उत्पादकता बढ़ाने का अभूतपूर्व अवसर भी प्रदान करता है।
      • इसी संदर्भ में, नवाचार-संचालित आर्थिक विकास, विशेष रूप से सृजनात्मक विनाश के माध्यम से सतत संवृद्धि के सिद्धांत की व्याख्या के लिए 2025 का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया है।
        • इस अवधारणा के अनुसार, AI जैसी नई तकनीक सृजनात्मक (नवाचार) होती है, लेकिन साथ ही विनाशकारी भी होती है क्योंकि वे पुरानी कंपनियों या तकनीकों को प्रतिस्पर्धा में पीछे छोड़ देती हैं।

    भारत में AI से जुड़े जोखिम

    परिचालन संबंधी जोखिम

    • उच्च नौकरी विस्थापन जोखिम: भारत में औपचारिक क्षेत्र की लगभग 60% से अधिक नौकरियां 2030 तक ऑटोमेशन (स्वचालन) के खतरे में हैं, विशेष रूप से IT और बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) क्षेत्रों में।
      • रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि "सामान्य व्यवसाय दृष्टिकोण" से नौकरियों की अपरिवर्तनीय हानि हुई है, प्रतिस्पर्धात्मकता में कमी आई है तथा सामाजिक व्यवधान का जोखिम उत्पन्न हुआ है।
      • प्रतिभा प्रवासन: भारत में AI पेशेवरों के लिए शुद्ध प्रतिभा प्रवासन दर नकारात्मक (-1.55 प्रति 10,000) दर्ज की गई है, जिससे उच्च कौशल वाले पेशेवरों के विदेश चले जाने का जोखिम है।

    संरचनात्मक जोखिम

    • शिक्षा और कौशल की कमी:
      • पाठ्यक्रम: भारतीय शैक्षणिक पाठ्यक्रम अक्सर वैश्विक स्तर की तुलना में पिछड़ जाते हैं, क्योंकि इनमें वैश्विक स्तर की तुलना में विशिष्ट, शोध-गहन पाठ्यक्रमों पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जाता है।
        • इसके अलावा, भारत में कंप्यूटर साइंस शिक्षा समान रूप से उपलब्ध नहीं है, जबकि चीन और रूस जैसे देशों में इसे प्राथमिक/ माध्यमिक स्तर पर अनिवार्य कर दिया गया है।
      • शोध में पिछड़ना: भारत AI से संबंधित शोध प्रकाशनों के उद्धरणों में काफी पीछे है और स्वीकृत AI पेटेंटों में भारत की हिस्सेदारी 2010 में 8-10% से गिरकर 2023 में 5% से भी कम हो गई है।
      • महत्वपूर्ण प्रतिभा की आपूर्ति-मांग में अंतर: वर्तमान में AI क्षेत्र में उपलब्ध प्रतिभा केवल मौजूदा मांग का 50% ही पूरी करती है, और बढ़ती माँग के बावजूद यह अंतर और बढ़ने की संभावना है।
      • अनौपचारिक श्रमिकों के लिए विश्वास की कमी: यह एक प्रणालीगत बाधा है  जो सत्यापन योग्य पहचान, अनुबंध और कार्य इतिहास की अनुपस्थिति से उत्पन्न होती है, यह सुरक्षित नौकरियों और वित्तीय सेवाओं तक पहुँच को सीमित करता है।
      • प्रणालीगत पहुँच और उपयोगिता अंतराल: कम डिजिटल साक्षरता, भाषाई विविधता से जुड़ी चुनौतियों और जटिल इंटरफेस के कारण डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का कम उपयोग हो रहा है, जिन्हें नेविगेट करना मुश्किल है।

    सिफारिशें

    • राष्ट्रीय AI प्रतिभा मिशन की स्थापना: नीति आयोग द्वारा अनुशंसित इस मिशन का उद्देश्य AI साक्षरता को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में एक आधारभूत कौशल के रूप में स्थापित करना है।
    • मुख्य विशेषताएं:
      • भारत को एक वैश्विक AI प्रतिभा केंद्र के रूप में विकसित करना, ताकि घरेलू प्रतिभाओं को बनाए रखा जा सके और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आकर्षित किया जा सकेगा। इसके लिए "AI  टैलेंट वीजा" के माध्यम से त्वरित निवास की सुविधा प्रदान की जाएगी।
      • उच्च-मूल्य वाले AI -संवर्धित कार्यों के लिए लाखों पेशेवरों को पुनः कौशल और कौशल उन्नयन प्रदान कर एक राष्ट्रीय पुनः-कौशल इंजन का निर्माण करना।
    • मिशन डिजिटल श्रमसेतु की स्थापना: अनौपचारिक श्रमिकों को डिजिटल युग में पहुँच और कौशल प्रदान करने के लिए AI, ब्लॉकचेन और इमर्सिव लर्निंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर उन्हें अभूतपूर्व स्तर पर समावेशी बनाना।

    निष्कर्ष

    भारत एक ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है जहां AI से उत्पन्न व्यवधान का खतरा वास्तविक है, और यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो यह अप्रतिवर्तनीय रोजगार हानि का कारण बन सकता है। राष्ट्रीय AI प्रतिभा मिशन और मिशन डिजिटल श्रमसेतु के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से एक एकीकृत, त्वरित और मिशन-संचालित प्रतिक्रिया देकर तथा नई AI भूमिकाओं की संभावनाओं का लाभ उठाकर भारत एक वैश्विक AI अग्रणी देश के रूप में उभर सकता है।

    • Tags :
    • AI and India
    • Informal sector in India and AI
    • Formalisation of Economy
    • Niti Aayog Reports on AI
    Download Current Article
    Subscribe for Premium Features