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विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘ऑपरेशन द्रोणागिरी’ तथा ‘एकीकृत भू-स्थानिक डेटा शेयरिंग इंटरफ़ेस (GDI)’ को लॉन्च किया

Posted 15 Nov 2024

Updated 18 Nov 2024

13 min read

इन दोनों पहलों की शुरुआत भू-स्थानिक डेटा को उदार बनाने और भू-स्थानिक अवसंरचना एवं भू-स्थानिक कौशल व ज्ञान विकसित करने के लिए की गई है।

  • भू-स्थानिक डेटा वह जानकारी है, जो पृथ्वी की सतह पर या उसके निकट स्थित ऑब्जेक्ट्स, घटनाओं या अन्य विशेषताओं का वर्णन करती है। 
    • इसके अंतर्गत सैटेलाइट इमेजरी, जनगणना डेटा, सोशल मीडिया डेटा आदि शामिल हैं। 
    • भू-स्थानिक डेटा को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसंरचना और सूचना संसाधन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

ऑपरेशन द्रोणागिरी के बारे में

  • यह राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2022 के तहत एक पायलट परियोजना है। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के भू-स्थानिक नवाचार प्रकोष्ठ द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
  • उद्देश्य: नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार और व्यवसाय करने में सुगमता के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों एवं नवाचारों के संभावित अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करना।
  • प्रथम चरण का कार्यान्वयन: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में किया जाएगा। इन राज्यों में पायलट परियोजनाएं संचालित की जाएंगी। 
    • कृषि, आजीविका, लॉजिस्टिक्स एवं परिवहन जैसे तीन क्षेत्रकों में भू-स्थानिक डेटा व प्रौद्योगिकी के एकीकरण के संभावित अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने के लिए अनुप्रयोगों के मामलों का प्रदर्शन किया जाएगा।

एकीकृत भू-स्थानिक डेटा शेयरिंग इंटरफ़ेस (GDI) के बारे में

  • उन्नत डेटा एक्सचेंज प्रोटोकॉल और गोपनीयता-संरक्षण सुविधाओं के साथ स्थानिक डेटा को सुलभ बनाने के लिए इंटरफ़ेस बनाया जा रहा है।
  • इसका निम्नलिखित महत्त्व है: 
    • यह निर्बाध डेटा साझाकरण को सक्षम करेगा; 
    • जनता के कल्याण के लिए डेटा-संचालित निर्णयों को सक्षम करेगा; और
    • भू-स्थानिक डेटा के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देगा।

राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2022 के बारे में 

  • विज़न: भारत को भू-स्थानिक डेटा क्षेत्रक में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना; एक राष्ट्रीय फ्रेमवर्क विकसित करना; और मूल्यवान भू-स्थानिक डेटा की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना। 
  • संस्थागत फ्रेमवर्क:
    • भू-स्थानिक डेटा संवर्धन और विकास समिति (GDPDC)- यह भू-स्थानिक डेटा क्षेत्रक के लिए शीर्ष निकाय के रूप में कार्यरत है।
    • भू-स्थानिक डेटा के लिए सर्वे ऑफ इंडिया को प्रमुख नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।
    • राष्ट्रीय डिजिटल ट्विन रणनीति संचालित की जा रही है। 
    • भू-स्थानिक ज्ञान अवसंरचना का गठन किया गया है। 

 

 

  • Tags :
  • ऑपरेशन द्रोणागिरी
  • GDI
  • राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2022
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