इन दोनों पहलों की शुरुआत भू-स्थानिक डेटा को उदार बनाने और भू-स्थानिक अवसंरचना एवं भू-स्थानिक कौशल व ज्ञान विकसित करने के लिए की गई है।
- भू-स्थानिक डेटा वह जानकारी है, जो पृथ्वी की सतह पर या उसके निकट स्थित ऑब्जेक्ट्स, घटनाओं या अन्य विशेषताओं का वर्णन करती है।
- इसके अंतर्गत सैटेलाइट इमेजरी, जनगणना डेटा, सोशल मीडिया डेटा आदि शामिल हैं।
- भू-स्थानिक डेटा को एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवसंरचना और सूचना संसाधन के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।
ऑपरेशन द्रोणागिरी के बारे में
- यह राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2022 के तहत एक पायलट परियोजना है। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के भू-स्थानिक नवाचार प्रकोष्ठ द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
- उद्देश्य: नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार और व्यवसाय करने में सुगमता के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों एवं नवाचारों के संभावित अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करना।
- प्रथम चरण का कार्यान्वयन: उत्तर प्रदेश, हरियाणा, असम, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में किया जाएगा। इन राज्यों में पायलट परियोजनाएं संचालित की जाएंगी।
- कृषि, आजीविका, लॉजिस्टिक्स एवं परिवहन जैसे तीन क्षेत्रकों में भू-स्थानिक डेटा व प्रौद्योगिकी के एकीकरण के संभावित अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने के लिए अनुप्रयोगों के मामलों का प्रदर्शन किया जाएगा।
एकीकृत भू-स्थानिक डेटा शेयरिंग इंटरफ़ेस (GDI) के बारे में
- उन्नत डेटा एक्सचेंज प्रोटोकॉल और गोपनीयता-संरक्षण सुविधाओं के साथ स्थानिक डेटा को सुलभ बनाने के लिए इंटरफ़ेस बनाया जा रहा है।
- इसका निम्नलिखित महत्त्व है:
- यह निर्बाध डेटा साझाकरण को सक्षम करेगा;
- जनता के कल्याण के लिए डेटा-संचालित निर्णयों को सक्षम करेगा; और
- भू-स्थानिक डेटा के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देगा।
राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति, 2022 के बारे में
|