सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) 1958 "अशांत क्षेत्रों" में कानून व्यवस्था को बहाल करने के लिए लगाया गया है।
AFSPA की मुख्य विशेषताओं पर एक नजर
- अशांत क्षेत्र: AFSPA अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत किसी क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जाता है। जब किसी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के क्षेत्र या पूरे राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक हो जाता है, तब उस राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के क्षेत्र या पूरे राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जाता है।
- किसी क्षेत्र को ‘अशांत क्षेत्र’ राज्य के राज्यपाल/ केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक या केंद्र सरकार द्वारा घोषित किया जाता है।
- सशस्त्र बलों को विशेष शक्तियां: उचित चेतावनी देने के बाद, सशस्त्र बल के सैन्य कार्मिक कानून का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति पर गोली चला सकते हैं या बल प्रयोग कर सकते हैं। यदि पर्याप्त संदेह हो तो, बिना वारंट के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं या किसी भी परिसर की तलाशी ले सकते हैं।
- सशस्त्र बलों के कार्मिकों को उन्मुक्ति: केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना AFSPA के तहत कार्रवाई करने वाले सशस्त्र बलों के कर्मियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की जा सकती है।
- गिरफ्तार व्यक्ति के साथ कार्रवाई: सशस्त्र बल के अधिकारी द्वारा गिरफ्तार व्यक्ति को यथासंभव शीघ्र ही निकटतम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को सौंपना अनिवार्य होता है।
- कहां-कहां लागू है: वर्तमान में, AFSPA कानून असम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है।
- जम्मू और कश्मीर के अशांत क्षेत्रों पर सशस्त्र बल (जम्मू और कश्मीर) विशेषाधिकार अधिनियम, 1990 लागू होता है।
- इस कानून से जुड़े मुद्दे: इसमें शक्तियों का दुरुपयोग, बलात्कार और यौन उत्पीड़न सहित मानवाधिकारों का उल्लंघन करना आदि शामिल है।
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