एक नए शोध में पाया गया है कि माइक्रोप्लास्टिक बर्फ का केंद्रक (Nuclea) बनाने वाले कणों के रूप में कार्य करते हैं। ये कण माइक्रोस्कोपिक एरोसोल होते हैं, जो बादलों में बर्फ के क्रिस्टल के निर्माण में सहायता करते हैं।
- जल की बूंद में किसी भी तरह का तत्व बर्फ के क्रिस्टल बनाने में भूमिका निभा सकता है। भले ही वह धूल, बैक्टीरिया या माइक्रोप्लास्टिक ही क्यों न हो। इसके लिए वे बर्फ को केंद्रक का निर्माण करने वाले तत्व प्रदान करते हैं।
- छोटी संरचना वाले ऐसे कण या विकृति जल की बूंद को अपेक्षाकृत गर्म तापमान पर भी जमने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जिससे बादलों का निर्माण प्रभावित होता है।
- बादल तब बनते हैं, जब जलवाष्प छोटे तैरते कणों पर संघनित होकर तरल जल की बूंदों या बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाते हैं।

वायुमंडल में माइक्रोप्लास्टिक का प्रभाव
- वर्षा पैटर्न: माइक्रोप्लास्टिक जैसे अनेकों एरोसोल कणों से युक्त प्रदूषित वातावरण में मौजूद जल बहुत से एरोसोल कणों के बीच वितरित हो जाता है, जिससे छोटी बूंदें बनती हैं।
- इसके कारण जब वर्षा होती है, तो यह या तो बहुत कम मात्रा में होती है या अत्यधिक मात्रा में होती है।
- ग्लोबल वार्मिंग: तरल जल की मात्रा की तुलना में बर्फ की मात्रा भी यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण है कि बादलों पर किस हद तक वार्मिंग या कूलिंग प्रभाव पड़ेगा।
- अन्य प्रभाव: वायुमंडलीय बर्फ के क्रिस्टल्स से बादलों का निर्माण प्रभावित होता है। इससे मौसम के पूर्वानुमान, जलवायु मॉडलिंग, विमानन सुरक्षा आदि में बाधा आती है।
माइक्रोप्लास्टिक को कम करने के लिए शुरू की गई पहलेंवैश्विक स्तर पर शुरू की गई पहलें
भारत द्वारा शुरू की गई पहलें
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