रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने इस हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के पूर्वी तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर से अधिक है।
- इससे पहले यह तकनीक केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के पास थी।
परीक्षण के दौरान प्रदर्शित तकनीकें
- एयरोडायनामिक कार्यप्रणाली: यह तकनीक मिसाइल उड़ान के दौरान दिशा में बदलाव पर स्थिरता और नियंत्रण बनाए रखने के लिए जरूरी है।
- स्क्रैमजेट प्रणोदन का उपयोग: यह हाइपरसोनिक गति पर प्रज्वलन और निरंतर दहन बनाए रखने के लिए उपयोगी है।
- स्क्रैमजेट प्रणोदन प्रणाली ईंधन के दहन के लिए सामने की वायु को संपीडित करने हेतु जेट इंजन की आगे की गति का उपयोग करती है। यह तकनीक हाइपरसोनिक गति पर कार्य करती है। एक स्क्रैमजेट एयर-ब्रीदिंग जेट इंजन का एक रूप है।
- थर्मो-स्ट्रक्चरल प्रणाली: यह तकनीक हाइपरसोनिक उड़ानों के दौरान विमान को चरम वायु-तापीय वातावरण का सामना करने में सक्षम बनाती है।
- हाइपरसोनिक वेग पर पेलोड से मिसाइल को अलग करने की प्रणाली।
हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है?
- ये मिसाइलें न्यूनतम मैक-5 की गति यानी ध्वनि की गति से पांच गुना गति से उड़ सकती हैं।
- ध्वनि की गति मैक-1 है। मैक-1 से मैक-5 के बीच की गति सुपरसोनिक होती है। मैक-5 से अधिक की गति हाइपरसोनिक कहलाती है।
- हाइपरसोनिक मिसाइलें उड़ान के दौरान अपनी दिशा और प्रक्षेप-पथ बदल सकती हैं। उच्च गति से उड़ने वाली ऐसी मिसाइलों का पता लगाना तथा उन्हें नष्ट करना अत्यंत कठिन होता है।
भारत की अन्य मिसाइल प्रणालियां
- सेवा में शामिल की गई मिसाइलें:
- आकाश: सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल,
- ब्रह्मोस: लंबी दूरी की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आदि।
- विकास-चरण वाली मिसाइलें:
- नाग: एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल,
- अस्त्र: हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल,
- अग्नि: लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल, आदि।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के बारे में
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