हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘मनी लॉन्ड्रिंग/ आतंकवाद के वित्त-पोषण से जुड़े जोखिमों के लिए आंतरिक जोखिम मूल्यांकन मार्गदर्शन’ जारी किया
मार्गदर्शन का मुख्य फोकस
- धोखाधड़ी के लिए डेटा आधारित मात्रात्मक एप्रोच पर ध्यान केंद्रित करना;
- अनुपालन, ड्यू डिलिजेंस और निरंतर निगरानी के साथ जोखिम-आधारित फ्रेमवर्क पर पूरी तरह से जोर देना आदि।
इस मार्गदर्शन की प्रासंगिकता
- घटनाओं की बढ़ती दर: RBI की वार्षिक रिपोर्ट, 2023-24 से पता चलता है कि धोखाधड़ी के मामलों की कुल संख्या 2022-23 के 13,564 से बढ़कर 2023-24 में 36,075 हो गई थी।
- वैश्विक GDP को नुकसान: संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) का अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष विश्व भर में 800 बिलियन डॉलर से 2 ट्रिलियन डॉलर तक का मनी लॉन्ड्रिंग होता है। यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 2-5% है।
मनी लॉन्ड्रिंग/ आतंकवाद के वित्त-पोषण के साथ वित्तीय प्रणाली से संबंधित जोखिम
- राजनीतिक: देशों को कमजोर करना तथा उनकी स्थिरता को प्रभावित करना।
- सुरक्षा: आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का प्रभावित होना; आतंकवाद और आतंकवाद के वित्त-पोषण से संबंधित खतरे उत्पन्न होना (इनमें ISIL या अलकायदा से संबंधित खतरे भी शामिल हैं)।
- आर्थिक: बैंक के धन का गलत इस्तेमाल करके क्रेडिट आधारित धोखाधड़ी करना। इससे अन्य आर्थिक क्षेत्रकों के लिए वित्तीय मदद में बाधा उत्पन्न होती है।
- सामाजिक: इससे सामाजिक सद्भाव पर दुष्प्रभाव पड़ता है। साथ ही, इससे सांप्रदायिक तनाव और अपराध को भी बढ़ावा मिलता है।
मनी लॉन्ड्रिंग/ आतंकवाद के वित्त-पोषण से निपटने के लिए शुरू की गई पहलें
- वैश्विक स्तर पर शुरू की गई पहलें
- ट्रांसनेशनल संगठित अपराध के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (2000, पलेर्मो कन्वेंशन);
- FATF एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग और काउंटर-टेररिज़्म फाइनेंसिंग (AML/CFT) फ्रेमवर्क आदि।
- भारत द्वारा शुरू की गई पहलें
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) लागू किया गया है;
- वित्तीय आसूचना एकक (FIU-IND), प्रवर्तन निदेशालय (ED) आदि संगठन स्थापित किए गए हैं;
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 2000, (फेमा/ FEMA) लागू किया गया है, इत्यादि।