इस अध्ययन में भारतीय संदर्भ में वर्क फ्रॉम होम के लागत-लाभ विश्लेषण को उजागर किया गया है।
वर्क फ्रॉम होम के लाभ
- संगठनात्मक स्तर पर:
- ऑफिस के किराये, कर्मचारियों, ग्राहकों आदि के साथ मीटिंग के मामले में 25% से अधिक की बचत होती है।
- उत्पादकता: ऑफिस आने-जाने से संबंधित तनाव में कमी से कर्मचारियों की उत्पादकता और ऊर्जा का स्तर बढ़ जाता है।
- कंपनी को अन्य लाभ: इसमें कंपनी को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं-
- उसके कार्बन फुटप्रिंट में कमी आती है;
- उसके पर्यावरणीय, सामाजिक और गवर्नेंस (ESG) संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलती है;
- भौगोलिक रूप से दूर रहने वाले प्रतिभावान लोगों की भर्ती करने का विकल्प मिलता है आदि।
- कर्मचारी स्तर पर:
- बचत: ऑफिस आने-जाने के समय और लागत में कमी आती है; ऑफिस से दूर कम किराए वाले क्षेत्रों में रहने का विकल्प मिल जाता है आदि।
- पारिवारिक संबंध: परिवार के साथ बेहतर संबंध बने रहते हैं, छोटे बच्चों वाले माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए लाभकारी विकल्प है; बेहतर वर्क-लाइफ संतुलन बनता है आदि।
वर्क फ्रॉम होम के नकारात्मक प्रभाव
- संगठनात्मक स्तर पर: इसमें कम प्रभावी संचार से टीमवर्क पर असर पड़ना; संगठनात्मक संस्कृति के विकास और प्रगति में बाधा आना आदि शामिल हैं।
- कर्मचारी स्तर पर: इसमें बार-बार व्यवधान, काम को लेकर लापरवाही, घर पर निर्बाध कार्यस्थल के अभाव के कारण तनाव में वृद्धि होना आदि शामिल हैं।
- पारिवारिक संबंध: घरेलू हिंसा की घटनाओं में वृद्धि, महिलाओं पर दबाव बढ़ना आदि।
आगे की राह
हाइब्रिड कार्यप्रणाली वह पद्धति है, जिसमें कर्मचारियों से सप्ताह में कुछ दिन ऑफिस आने की अपेक्षा की जाती है। इसका उद्देश्य आमने-सामने बैठ कर काम करने के फायदों को वर्क फ्रॉम होम के लाभों के साथ बेहतर तरीके से जोड़ना है, ताकि कार्यक्षमता एवं संतुलन दोनों बनाए रखे जा सकें।