यह आकलन रिपोर्ट अजरबैजान के बाकू में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर COP-29 में जारी की गई है। यह विगत एक दशक से भी अधिक समय से केवल N₂O पर केंद्रित पहली अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- यदि N₂O उत्सर्जन अपनी वर्तमान दर से बढ़ता रहा, तो वैश्विक तापमान को 1.5° सेल्सियस तक सीमित करने का कोई संभावित मार्ग नहीं रहेगा।
- वर्तमान वैश्विक तापमान में N₂O का हिस्सा 0.1° C है।
- 1980 के बाद से मानवजनित गतिविधियों से N₂O के उत्सर्जन में वैश्विक स्तर पर 40% की वृद्धि हुई है। इसमें से लगभग 75% उत्सर्जन कृषि में सिंथेटिक उर्वरकों और खाद के उपयोग से हुआ है।
- N₂O ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाने वाला प्रमुख तत्व है। इससे हानिकारक अल्ट्रावायलेट (UV) का जोखिम बढ़ गया है।
- इस जोखिम की वजह से मोतियाबिंद का खतरा 0.2–0.8% और स्किन कैंसर का खतरा 2-10% तक बढ़ गया है।
N₂O उत्सर्जन को कम करने के लिए सुझाए गए उपाय
- कृषि क्षेत्रक: उर्वरक दक्षता बढ़ानी चाहिए, नाइट्रीकरण अवरोधकों को अपनाना चाहिए तथा उर्वरकों से पोषक तत्वों की निकासी को धीमा करने वाले फॉर्मूलेशन का उपयोग करना चाहिए। इससे N2O उत्सर्जन में कमी आएगी।
- औद्योगिक क्षेत्रक: तापीय प्रकिया से नष्ट करके या उत्प्रेरक प्रक्रियाओं को अपनाकर एडिपिक एसिड और नाइट्रिक एसिड से उत्सर्जन के प्रबंधन में 90-99% दक्षता प्राप्त की जा सकती है।
- एडिपिक एसिड सिंथेटिक फाइबर व फोम में उपयोग किया जाता है।
- नाइट्रिक एसिड उर्वरक उत्पादन में उपयोग किया जाता है।
- जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी: परिवहन और ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को बढ़ाना चाहिए।
- खाद प्रबंधन: इसमें पशु आहार में पोषक तत्वों के इनपुट को संतुलित करना, अधिक चराई को कम करना, खाद की अवायवीय पाचन (Anaerobic digestion) प्रक्रिया को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।
- बहुपक्षीय समझौतों को लागू करना: कन्वेंशन ऑन लॉन्ग-रेंज ट्रांसबाउंड्री एयर पॉल्यूशन (LRTAP) के गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल में अमोनिया और नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) के बारे में
जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC) के बारे में
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