इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य के नजरिये से सभी लोगों, स्थानों और संपूर्ण पृथ्वी ग्रह को ध्यान में रखते हुए जलवायु कार्रवाई के महत्त्व को रेखांकित किया गया है (इन्फोग्राफिक देखिए)।
स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
- प्रत्यक्ष प्रभाव:
- गैर-संचारी रोग (NCD): जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण गैर-संचारी रोगों से होने वाली 85% मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
- हीट स्ट्रेस: जलवायु परिवर्तन के कारण लोगों को 2023 में स्वास्थ्य के लिए खतरनाक गर्मी के 50 अधिक दिनों का सामना करना पड़ा था।
- मातृ एवं प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव: जलवायु परिवर्तन की वजह से समय से पहले प्रसव (प्रीटर्म लेबर), अल्पवजनी बच्चे का जन्म लेना, प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु, बंध्यापन जैसे प्रभाव देखे जा रहे हैं।
- अप्रत्यक्ष प्रभाव:
- गरीबी रेखा में चले जाने और हाशिए पर जाने की दर में वृद्धि हो रही है;
- खाद्य और जल संकट बढ़ रहे हैं;
- संघर्ष और पलायन में वृद्धि हो रही है, आदि।
- 2023 में, मौसम संबंधी आपदाओं के कारण 20.3 मिलियन लोगों को अपने मूल निवास स्थान से विस्थापित होकर देश में ही किसी अन्य जगह जाना पड़ा था।
रिपोर्ट के मुख्य सुझाव
- मानव और पशु स्वास्थ्य तथा पारिस्थितिकी-तंत्र की सुरक्षा के बीच संबंधों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए वन हेल्थ एप्रोच को लागू करना चाहिए।
- संसाधनों के दोहन वाली आर्थिक प्रणाली की जगह सर्कुलर इकॉनमी को अपनाना चाहिए।
- जलवायु वित्त-पोषण के लिए नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) को अपनाना सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, “हानि एवं नुकसान कोष” (Loss and Damage Fund) व्यवस्था में पर्याप्त फंड सुनिश्चित करना चाहिए।
- स्वास्थ्य के विषय को राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं में एकीकृत करना चाहिए। इन योजनाओं में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs), राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP) आदि शामिल हैं।
शुरू की गई मुख्य पहलें
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने “जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय कार्यक्रम” शुरू किया है;
- केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने “जलवायु परिवर्तन एवं स्वास्थ्य पर नेटवर्क” कार्यक्रम शुरू किया है आदि।