कोकिंग कोल
नीति आयोग की एक शोध रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि भारत को अपने इस्पात क्षेत्रक की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए कोकिंग कोल को क्रिटिकल मिनरल्स की सूची में शामिल करना चाहिए।
- भारत एक निवल (Net) इस्पात निर्यातक है, लेकिन यह विश्व में धातुकर्म कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है।
कोकिंग कोल के बारे में
- कोकिंग कोल उच्च श्रेणी का बिटुमिनस कोयला है। इसकी गुणवत्ता धातुकर्म कोयला उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है।
- ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कोकिंग कोल को उच्च तापमान पर गर्म करने से कोक उत्पन्न होता है।
- लोहा एवं इस्पात उद्योग में ब्लास्ट भट्टियों में कोक का उपयोग ऊर्जा स्रोत और रासायनिक एजेंट (कार्बन स्रोत) के रूप में किया जाता है।
- Tags :
- कोकिंग कोल
- क्रिटिकल मिनरल्स
- धातुकर्म
- लोहा एवं इस्पात उद्योग
किंग कोबरा
कर्नाटक किंग कोबरा को आधिकारिक तौर पर ओफियोफैगस कालिंगा नाम दिया जाएगा। इसे स्थानीय तौर पर ‘कालिंगा सर्प’ के नाम से जाना जाता है।
किंग कोबरा के बारे में
- पर्यावास: यह भारत, चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के घने जंगलों और मैदानों में पाया जाता है।
- विशेषताएं:
- यह सबसे लंबा विषैला सांप है, जिसकी लंबाई 18 फीट तक होती है।
- जीवनकाल: जंगल में लगभग 20 वर्ष।
- आहार: ठंडे रक्त वाले जानवर, विशेष रूप से अन्य सांप।
- खतरे की मुद्रा: वे अपने शरीर को जमीन से लगभग तीन से चार फीट (1 से 1.2 मीटर) ऊपर उठाते हैं। इस स्थिति में वे अपने शिकार का काफी दूर तक पीछा करने में सक्षम होते हैं।
- Tags :
- किंग कोबरा
- ओफियोफैगस कालिंगा
- कालिंगा सर्प
संपीडित बायोगैस
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अत्याधुनिक संपीडित बायोगैस (CBG) संयंत्र के साथ भारत की पहली आधुनिक व आत्मनिर्भर गौशाला का शुभारंभ किया गया।
- यहां मवेशियों के गोबर और कूड़े से बायोगैस तैयार की जाएगी।
संपीडित बायोगैस (CBG) के बारे में
- संरचना: इसमें 90% से अधिक मीथेन (CH4) होती है।
- स्रोत: अवायवीय अपघटन के माध्यम से कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों से प्राप्त।
- हरित ईंधन: इसका कैलोरी मान और अन्य गुण संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG) के समान होते हैं। इसलिए, इसका उपयोग हरित नवीकरणीय ऑटोमोटिव ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
- अनुमानित क्षमता: भारत में 62 मिलियन मीट्रिक टन।
- नीतिगत समर्थन: CBG पर SATAT (वहनीय परिवहन के लिए संधारणीय विकल्प) योजना, गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (गोबर-धन) योजना आदि।
- Tags :
- संपीडित बायोगैस
- CBG
- संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG)
- SATAT (वहनीय परिवहन के लिए संधारणीय विकल्प) योजना
- गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (गोबर-धन) योजना
Articles Sources
पुनर्योजी कृषि (Regenerative Agriculture)
ओडिशा सरकार और ICRISAT ने पुनर्योजी कृषि प्रथाओं को बढ़ाने के लिए 'पुनर्योजी कृषि का एक सार-संग्रह' लॉन्च किया है।
पुनर्योजी कृषि के बारे में
- पुनर्योजी कृषि खेती का एक तरीका है, जो मृदा के स्वास्थ्य पर केंद्रित है।
- इसके प्रमुख सिद्धांतों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- मृदा जुताई को कम करना, मृदा में CO2 को बनाए रखना, और इसके जल अवशोषण में सुधार करना।
- फसल विविधता को अधिकतम करने से जैव विविधता में सुधार होगा।
- मृदा के आवरण को बनाए रखना, साल भर जीवित जड़ों को बनाए रखना और पशुधन को समेकित करना।
- महत्त्व: फसल की पैदावार में सुधार होता है; मृदा की जल प्रतिधारण क्षमता बढ़ती है, मृदा के कटाव और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी होती है आदि।
- Tags :
- पुनर्योजी कृषि
- Regenerative Agriculture
- ICRISAT
- फसल की पैदावार
राज्य में संसदीय सचिव
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य में मुख्य संसदीय सचिवों और संसदीय सचिवों की नियुक्ति के अधिकार को असंवैधानिक घोषित किया गया था।
राज्य में संसदीय सचिवों के बारे में
- उन्हें संसदीय कार्यों में मंत्रियों की सहायता के लिए नियुक्त किया जाता है।
- वे प्रायः राज्य मंत्री का दर्जा रखते हैं, उनके समान अधिकार होते हैं तथा उन्हें सरकारी विभाग सौंपा जाता है।
- उल्लेखनीय है कि अलग-अलग हाई कोर्ट्स ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक माना है।
- नियुक्ति में समस्याएं:
- संसदीय सचिवों की नियुक्ति भारतीय संविधान के 91वें संशोधन के खिलाफ है। ज्ञातव्य है कि इस संशोधन के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 164(1A) जोड़ा गया था।
- अनुच्छेद 164(1A) मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या को राज्य विधान सभा सदस्यों के 15% तक सीमित करता है।
- संसदीय सचिवों की नियुक्ति भारतीय संविधान के 91वें संशोधन के खिलाफ है। ज्ञातव्य है कि इस संशोधन के माध्यम से संविधान में अनुच्छेद 164(1A) जोड़ा गया था।
- Tags :
- राज्य में संसदीय सचिव
- संसदीय सचिवों की नियुक्ति
- अनुच्छेद 164(1A)
सिस-रेगुलेटरी एलिमेंट्स (Cis-Regulatory Elements)
शोधकर्ताओं ने नए डीएनए स्विच्स डिजाइन करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया है। ये स्विच्स अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति को सटीक रूप से नियंत्रित कर सकते हैं। इन स्विच्स को सिस-रेगुलेटरी एलिमेंट्स (CREs) भी कहा जाता है।
- इस कदम से मानव स्वास्थ्य और अनुसंधान के लिए मानव शरीर में जीन कब और कहां अभिव्यक्त होंगे, इसे नियंत्रित करने की संभावना उत्पन्न होगी।
सिस-रेगुलेटरी एलिमेंट्स (CREs) के बारे में
- CREs स्वयं जीन का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि अलग विनियामक डीएनए अनुक्रम हैं।
- हालांकि, किसी जीव की प्रत्येक कोशिका में समान जीन होते हैं, लेकिन प्रत्येक कोशिका में या हर समय सभी जीनों की आवश्यकता नहीं होती है। यही जीन अभिव्यक्ति CREs द्वारा नियंत्रित होती है।
- CREs सेलुलर पहचान, विकासात्मक प्रक्रियाओं और उत्तेजना संबंधी प्रतिक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- Tags :
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- सिस-रेगुलेटरी एलिमेंट्स
- Cis-Regulatory Elements
- डीएनए स्विच्स
- CREs
मीरकैट (MeerKAT) टेलीस्कोप
खगोलविदों ने कॉस्मोलॉजिकल इवोल्यूशन सर्वे (COSMOS) के क्षेत्र में विशाल रेडियो आकाशगंगाओं की जांच के लिए मीरकैट रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग किया है।
मीरकैट रेडियो टेलीस्कोप के बारे में
- अवस्थिति: दक्षिण अफ्रीका के उत्तरी केप प्रांत में।
- विशेषताएं:
- इसमें रेडियो टेलीस्कोप्स की एक जुड़ी हुई श्रृंखला शामिल है।
- इसमें 64 अंतर-संबद्ध रिसेप्टर्स होते हैं, जिनमें मुख्य रिफ्लेक्टर, सब-रिफ्लेक्टर, रिसीवर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं।
- लाभ: अत्यधिक उच्च संवेदनशीलता, देखने का विस्तृत क्षेत्र और अभूतपूर्व इमेजिंग क्षमताएं।
- यह स्क्वायर किलोमीटर एरे (SKA) टेलीस्कोप के मध्य-आवृत्ति घटक का एक अग्रगामी उपकरण है।
- Tags :
- MeerKAT
- कॉस्मोलॉजिकल इवोल्यूशन सर्वे
- मीरकैट रेडियो टेलीस्कोप
- 64 अंतर-संबद्ध रिसेप्टर्स
सी विजिल 24
हाल ही में, एक प्रमुख अखिल भारतीय तटीय रक्षा अभ्यास, सी विजिल 24 का चौथा संस्करण संपन्न हुआ।
सी विजिल 24 के बारे में
- संचालन: भारतीय नौसेना द्वारा।
- उद्देश्य: समुद्री सुरक्षा, वायु रक्षा, नौसैनिक सहयोग और सामुदायिक सहभागिता।
- कवरेज: भारत की 11,098 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा और 2.4 मिलियन वर्ग कि.मी. विशेष आर्थिक क्षेत्र।
- फोकस क्षेत्र: ऑयल रिग्स, केबल लैंडिंग स्टेशन और तट के किनारे गैर-महापत्तनों व परमाणु प्रतिष्ठानों जैसी महत्वपूर्ण समुद्री संपत्तियों की सुरक्षा बढ़ाना, अंतर-एजेंसी समन्वय को मजबूत करना आदि।
- Tags :
- सी विजिल 24
- अखिल भारतीय तटीय रक्षा अभ्यास
- भारतीय नौसेना