यह अध्ययन “स्ट्रेंथनिंग टीचिंग-लर्निंग एंड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स” (STARS) कार्यक्रम के तहत किया गया है।
- यह कौशल में कमी पर विश्लेषण है। यह रिपोर्ट वास्तव में जिलों में स्थित स्कूलों में चलाए जा रहे कौशल पाठ्यक्रम और उसी जिले में स्थित उद्योगों की कौशल संबंधी मांग की आवश्यकता का विश्लेषण करती है।
STARS कार्यक्रम के बारे में
- यह विश्व बैंक द्वारा समर्थित केंद्र प्रायोजित योजना है। इस योजना को 2020 में मंजूरी दी गई थी। इसे अगले पांच वर्षों में यानी वित्त वर्ष 2024-25 तक क्रियान्वित किया जाना है।
- यह योजना 6 राज्यों (हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केरल) में क्रियान्वित की जा रही है।
- इसका उद्देश्य स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता और गवर्नेंस में सुधार करना है। इसमें प्रारंभिक शिक्षा, लर्निंग का आकलन, शिक्षक के प्रदर्शन, स्कूल से रोजगार प्राप्ति की ओर कदम और विकेन्द्रीकृत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- यह योजना समग्र शिक्षा योजना के अनुरूप है। साथ ही, यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के प्रमुख सिद्धांतों को भी लागू करती है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- स्कूल में कौशल विकास वास्तव में सेवा क्षेत्रक में रोजगार और कृषि आय में वृद्धि के लिए बड़े अवसर प्रदान करता है।
- स्कूलों को 14 क्षेत्रकों और इससे संबंधित ट्रेड्स पर कोर्स चलाने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इनमें रोजगार की अधिक मांग है। इन क्षेत्रकों में इलेक्ट्रॉनिक्स व हार्डवेयर, ब्यूटी एवं वैलनेस, स्वास्थ्य देखभाल सेवा, फैशन आदि शामिल हैं।
- भारत में कौशल विकास में अंतर की मुख्य वजहें निम्नलिखित हैं:
- रोजगार योग्य कौशल की कमी है- जैसे कि डिजिटल साक्षरता की कमी, समस्या समाधान क्षमता की कमी आदि।
- उद्योग जगत की मांग के अनुसार व्यावसायिक प्रशिक्षण कोर्स का न होना, आदि।
रोजगार योग्य क्षमता में सुधार के लिए सुझाए गए उपाय
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