केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में HLC ने अलग-अलग राज्यों के लिए राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (NDMF) से आपदा शमन परियोजनाओं हेतु वित्त-पोषण को मंजूरी प्रदान की है।
- इसके अलावा, HLC ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के तैयारी और क्षमता निर्माण घटक के तहत सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए भी परियोजना को मंजूरी प्रदान की है।
राष्ट्रीय भूस्खलन जोखिम शमन (NLRM) परियोजना की आवश्यकता
- भूकंप और सुनामी की तुलना में, भूस्खलन की घटना को रोकना और उसका पूर्वानुमान लगाना संभव है।
- वैज्ञानिक जांच, विश्लेषण और प्रबंधन की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस परियोजना की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (NDMF) के बारे में
- NDMF का गठन 2021 में किया गया था। इसे केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित किया है।
- इस कोष का कार्यान्वयन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा किया जाता है।
- इसका कार्य अनन्य रूप से आपदाओं के संबंध में शमन परियोजनाएं संचालित करना है।
भारत में भूस्खलन प्रबंधन
- भूस्खलन जोखिम क्षेत्र मानचित्रण और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए रिमोट सेंसिंग एवं GIS प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां विकसित करने के लिए सेंसर्स, उपग्रह आधारित डेटा और ड्रोन का उपयोग करके रियल टाइम में भूस्खलन की निगरानी की जा रही है।
- भूस्खलन को रोकने के लिए संरचनात्मक उपायों (दीवारों को बनाए रखना, ढलान स्थिरीकरण इत्यादि) और गैर-संरचनात्मक उपायों (भूमि उपयोग विनियमन, वनों की कटाई को रोकना आदि) का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- NDMA, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GIS) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे है।
भारत में भूस्खलन के बारे में
भूस्खलन को प्रबंधित करने के लिए किए गए अन्य उपाय
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