इस संधि पर हस्ताक्षर करके भारत ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने एवं अपने बौद्धिक संपदा (IP) से संबंधित इकोसिस्टम को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
- लगभग दो दशकों की वार्ता के बाद, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के सदस्य देशों ने ऐतिहासिक DLT को अपनाया है।
- ज्ञातव्य है कि डिजाइन बौद्धिक संपदा की एक श्रेणी है। इसमें किसी उत्पाद का सजावटी पहलू शामिल होता है।
DLT में शामिल किए गए प्रमुख प्रावधान
- यह संधि कुछ शर्तों के तहत आवेदकों को एक ही आवेदन में कई डिजाइन शामिल करने की अनुमति देती है।
- यह संधि आवेदन फाइलिंग/ दाखिल करने की तिथि प्रदान करने के लिए आवश्यकताएं निर्धारित करती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि दाखिल करने की तिथि को स्थगित करने से अधिकारों की हानि हो सकती है।
- आवेदकों को फाइलिंग तिथि सुरक्षित करने के बाद कम-से-कम छह महीने तक डिजाइन को अप्रकाशित रखने की अनुमति देता है।
- डिजाइन के प्रथम प्रकटीकरण के बाद 12 महीने की छूट अवधि प्रदान की जाती है। इस अवधि के दौरान इस तरह के प्रकटीकरण से पंजीकरण के लिए इसकी वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
- डिजाइन और प्राथमिकता वाले दस्तावेजों के इलेक्ट्रॉनिक विनिमय के लिए ई-फाइलिंग सिस्टम की शुरुआत की गई है।
DLT का महत्त्व
- यह संधि स्टार्ट-अप्स और लघु व मध्यम उद्यमों (SMEs) को वैश्विक स्तर पर उनके डिजाइन की सुरक्षा करके तथा उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता व विकास में सुधार करके उन्हें सशक्त बनाएगी।
- यह प्रक्रियाओं को अधिक पूर्वानुमान योग्य, कम जटिल और अधिक किफायती बनाएगी।
- डिजाइन संरक्षण को पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के साथ एकीकृत करेगी। इससे उसकी सुरक्षा बढ़ जाती है।
- प्रक्रियागत आवश्यकताओं को मानकीकृत करके, DLT अलग-अलग देशों में आवेदन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगी तथा प्रशासनिक बोझ को कम करेगी। इसके परिणामस्वरूप, डिजाइन में वैश्विक रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
बौद्धिक संपदा (Intellectual Property: IP) के बारे में
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के बारे में
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