हाल ही में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के राज्य मंत्री ने लोक सभा में सूचना दी है कि भौगोलिक संकेतकों (GI) में सबसे अधिक 380% की वृद्धि देखी गई है। इसके बाद डिजाइन, पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क में बढ़ोतरी हुई है।
- यह वृद्धि मुख्य रूप से बौद्धिक संपदा (IP) गतिविधियों एवं नवाचार तथा भारत में IP फाइलिंग को बढ़ावा देने के लिए किए गए रणनीतिक सुधारों के कारण हुई है।
IP गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलें:
- प्रक्रियात्मक सुधार: पेटेंट की मंजूरी के लिए समय-सीमा तय की गई है। ट्रेडमार्क पंजीकरण आदि के लिए फॉर्म की संख्या को 74 से घटाकर 8 किया गया है।
- शुल्क में रियायत: स्टार्ट-अप्स, MSMEs और शैक्षणिक संस्थानों के लिए पेटेंट में 80% तक शुल्क में कमी की गई है; स्टार्ट-अप्स और MSMEs के लिए डिजाइन में 75% तक शुल्क में छूट दी गई है आदि।
- डिजिटलीकरण: IP आवेदनों पर रीयल-टाइम डेटा प्रदान करने के लिए IP डैशबोर्ड स्थापित किया गया है।ट्रेडमार्क्स आवेदनों की अधिक कुशल और सटीक जांच के लिए AI-संचालित ट्रेडमार्क सर्च तकनीक अपनाई गई है।
- कार्यक्रम और योजनाएं: राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (NIPAM), बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) इंटर्नशिप कार्यक्रम, स्टार्ट-अप बौद्धिक संपदा संरक्षण (SIPP) योजना, राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) पुरस्कार आदि।
- अंतर्राष्ट्रीय मानक: औद्योगिक डिजाइनों के लिए लोकार्नो एग्रीमेंट के तहत अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण को अपनाया गया है।
- लोकार्नो एग्रीमेंट विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के तहत 1968 में हस्ताक्षरित एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है।