घड़ियाल और स्लॉथ बेयर को “वन्यजीव पर्यावासों के एकीकृत विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (CSS-IDWH)” के तहत ‘प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम’ में शामिल किए जाने की सिफारिश की गई है।
- इन प्रजातियों की सिफारिश राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) की ओर से गठित स्थायी समिति (SC-NBWL) ने की है। इस समिति को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत वन्यजीवों और वनों के संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु सिफारिशें देने के लिए गठित किया गया है।
घड़ियाल के बारे में
- पर्यावास (Habitat): यह प्रजाति ज्यादातर मीठे पानी की नदियों में पाई जाती है। मुख्य रूप से गंगा की सहायक नदियों- चंबल और गीरवा (भारत में) तथा राप्ती-नारायणी नदियों (नेपाल में) में पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति (Conservation Status):
○ IUCN: क्रिटिकली एंडेंजर्ड।
○ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची-I में सूचीबद्ध।
○ CITES: परिशिष्ट-I (Appendix-I) में सूचीबद्ध। - विशेषताएं:
- इनकी थूथन सभी मगरमच्छ प्रजातियों में सबसे पतली और लंबी होती है।
- वयस्क नर के थूथन के सिरे पर एक बड़ा बल्बनुमा उभार होता है, जिसे 'घड़ा' (ghara) कहा जाता है।
- यह सभी मगरमच्छ प्रजातियों में सबसे अधिक जल में रहना पसंद करती है।
स्लॉथ बेयर (भालू) के बारे में
- पर्यावास (Habitat): भारत, श्रीलंका और नेपाल की देशज (मूल) प्रजाति है।
- यह भारत में 5 जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में पाया जाता है — प्रायद्वीपीय भारत, पश्चिमी घाट, दक्कन का पठार, गंगा का मैदान और पूर्वोत्तर भारत।
- संरक्षण स्थिति (Conservation Status):
○ IUCN: वल्नरेबल।
○ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I में सूचीबद्ध।
○ CITES: परिशिष्ट-I (Appendix-I) में सूचीबद्ध। - विशेषताएं:
○ स्लॉथ बेयर एक छोटा भालू होता है, जिसकी त्वचा घने बालों वाली (shaggy coat) होती है।
○ यह भोजन के लिए मुख्य रूप से दीमकों और चींटियों पर निर्भर रहता है।
○ यह एकाकी प्राणी होता है और सामान्यतः रात्रिचर (nocturnal) होता है।
CSS-IDWH के बारे में
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