इस प्रोजेक्ट को भारत और म्यांमार ने मिलकर तय किया है। यह प्रोजेक्ट भारत के पूर्वी बंदरगाहों से म्यांमार होते हुए भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (NER) तक सामान पहुंचाने के लिए एक मल्टी-मॉडल परिवहन सुविधा प्रदान करेगा।
कलादान मल्टी मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) के बारे में

- फ्रेमवर्क एग्रीमेंट: इस पर 2008 में हस्ताक्षर किए गए थे।
- नोडल मंत्रालय: विदेश मंत्रालय।
- प्रोजेक्ट डेवलपमेंट कंसल्टेंट (PDC): भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI)।
- पारगमन घटक :
- जलमार्ग घटक: कलादान नदी पर तथा सित्तवे बंदरगाह (राखिन, म्यांमार) से म्यांमार में पलेत्वा तक।
- सड़क घटक: पलेत्वा से लेकर मिजोरम में भारत-म्यांमार सीमा पर जोरिनपुई तक।
भारत के लिए KMTTP का महत्त्व
- उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (NER) का भौगोलिक अलगाव समाप्त करेगा: यह क्षेत्र "चिकन्स नेक" (केवल 21 किमी का संकीर्ण गलियारा) के माध्यम से शेष भारत से जुड़ा हुआ है और शेष चारों ओर से अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है। यह प्रोजेक्ट इस अलगाव को कम करेगा।
- भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' (AEP) के अनुरूप है: यह नीति 2014 में शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया और पड़ोसी देशों से भारत की कनेक्टिविटी बढ़ाना है।
- लॉजिस्टिक लागत और समय में कमी: कोलकाता से आइज़ोल (मिजोरम) तक सामान पहुंचाने में लगने वाला खर्च और समय 50% से भी ज्यादा कम हो जाएगा।
- उत्तर-पूर्व को व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित करेगा: इससे व्यापार बढ़ेगा, खासकर विनिर्माण और एग्रो-प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रकों में निर्यात आधारित उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (NER) के लिए अन्य कनेक्टिविटी परियोजनाएं
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