इस रोडमैप का उद्देश्य विविध क्षेत्रों में भारतीय थल सेना की क्षमताओं को आधुनिक युद्ध की चुनौतियों के अनुरूप ढालना और तैयार करना है।
आधुनिकीकरण रोडमैप के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- अत्यधिक उन्नत हथियार प्रणालियां: इसमें हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल, हाइपरसोनिक एयर-ब्रीदिंग इंजन (HEB) तथा चौथी, पांचवी और छठी पीढ़ी की अति उन्नत मिसाइलों सहित अति तीव्र एवं अत्यधिक मेनोयूवरेबल हथियार प्रणालियों का विकास करना शामिल है।
- मेनोयूवरेबल: तेज गति से उड़ान भरते हुए भी दिशा बदलने में सक्षम।
- पारंपरिक डंप श्रेणी वाले हथियारों से हटकर स्मार्ट व सटीकता के साथ निर्देशित होने वाले हथियार जैसे लोइटरिंग हथियारों को अपनाने की आवश्यकता है।
- लोइटरिंग हथियार: ऐसा स्मार्ट हथियार, जो हवा में कुछ समय तक चक्कर लगाते हुए अपने लक्ष्य को खोजता है, और जब सही समय आए, तभी सटीक निशाना लगाकर हमला करता है।
- ड्रोन-रोधी अभियानों, मिसाइल रक्षा और उपग्रह-रोधी क्षमताओं के लिए उच्च-ऊर्जा लेजर एवं माइक्रोवेव प्रणालियों जैसे निर्देशित ऊर्जा हथियारों के क्षेत्र में प्रयासों को आगे बढ़ाना होगा।
- साइबर एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW): इसमें अगली पीढ़ी के साइबर रक्षा उपकरण, ऑटोनोमस EW साधनों और सक्षम उपग्रह प्रणालियों के विकास के माध्यम से स्पेक्ट्रम पर नियंत्रण हासिल करना शामिल है।
- सैनिक-केंद्रित आधुनिकीकरण: सैनिकों को एक्सोस्केलेटन, ह्यूमन ऑग्मेंटेशन सिस्टम, स्मार्ट बॉडी आर्मर और ऑगमेंटेड रियलिटी-आधारित युद्ध क्षेत्र संबंधी प्रबंधन प्रणालियों से लैस करना है।
- युद्ध क्षेत्र में प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए AI-संचालित हेलमेट, स्मार्ट परिधान और रियल टाइम में स्वास्थ्य संबंधी निगरानी को भी शामिल करना है।
- लॉजिस्टिक्स एवं अवसंरचना: हरित, संधारणीय व साइबर-रेसिलिएंट लॉजिस्टिक्स सिस्टम बनाने के लिए AI, ब्लॉकचेन और IoT को उपयोग करते हुए आपूर्ति श्रृंखलाओं का आधुनिकीकरण करना होगा।
- तालमेल मजबूत करना: इसके तहत तीन प्रमुख हितधारकों के बीच तालमेल सुनिश्चित करना होगा:
- सेना: इसे अपनी परिचालन से संबंधित आवश्यकताओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना होगा;
- नीति निर्माता: उन्हें सक्षमकारी और सार्थक फ्रेमवर्क का निर्माण करना होगा; तथा
- उद्योग: उन्हें नवाचार करना होगा और आवश्यकता के अनुरूप समाधान प्रदान करना होगा।
भारत में सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण से संबंधित पहलें
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